
नई दिल्ली | एक के बाद एक कई चुनाव हार चुकी कांग्रेस रणनीति बदल रही है। जातिगत समीकरण साधने के साथ पार्टी बड़े वर्ग में भी पैठ बनाने की कोशिश में जुटी है। दलित (Dalit), महिला(Women) और ओबीसी(OBC) फॉर्मूला पार्टी की इसी रणनीति का हिस्सा है। पार्टी के फैसलों में इन तीनों वर्ग की छाप साफ दिखाई देगी। क्योंकि, पार्टी इस फॉर्मूले को विधानसभा के साथ वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी मुफीद मान रही है।
कांग्रेस पार्टी मानती है कि भाजपा कई मुद्दों पर अमीरों के साथ खड़ी दिखाई देती है। ऐसे में कांग्रेस को पिछड़ों के साथ खड़ा नजर आना चाहिए। 2004 में पार्टी 'कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ' के नारे के साथ लड़ी और जीती थी। पार्टी को यकीन है कि इस फॉर्मूले के जरिए वह फिर सत्ता की दहलीज तक पहुंच सकती है।
पंजाब में पहला दलित मुख्यमंत्री बनाना हो या यूपी में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का ऐलान, पार्टी लगभग हर फैसले में यह फॉर्मूला लागू करेगी। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल फेरबदल में भी इसी फॉर्मूले पर अमल किया गया है। इससे साफ है कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी इस फार्मूले को केंद्र में रखकर चुनावी रणनीति बनाएगी।
कांग्रेस से पहले भाजपा, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी महिलाओं का भरोसा जीतकर सत्ता तक पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना ने 2017 के यूपी चुनाव में भाजपा को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। वहीं, पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री की कन्याश्री योजना ने महिला मतदाताओं का भरोसा जीतने में मदद की। दिल्ली में भी महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा का तोहफा दिया।
भाजपा की जीत में महिलाओं की भूमिका अहम
पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि भाजपा की जीत में महिलाओं की भूमिका अहम है। पिछले कुछ चुनावों में महिलाओं को वोट प्रतिशत भी बढ़ा है। देश की कुल आबादी में महिलाओं का प्रतिशत लगभग 48 फीसदी है, पर मतदान प्रतिशत पुरुषों के करीब है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 68 फीसदी महिलाओं ने वोट का इस्तेमाल किया था, जबकि पुरुषों का वोट प्रतिशत 68.3 फीसदी था।

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