भोपाल । भाजपा के साथ कांग्रेस भी मिशन 2023 की तैयारी में जुट गई है। इसी सिलसिले में गतदिनों कमलनाथ ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात की। सूत्र बताते हैं कि कमलनाथ ने सोनिया गांधी को प्रदेश का फीडबैक दिया। उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कमलनाथ को प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन करने और संगठन का विस्तार करने के लिए फ्री हैंड कर दिया है। अब संभावना जताई जा रही है कि मप्र कांग्रेस का विस्तार दिसंबर में किया जा सकता है।
गौरतलब है कि उपचुनावों के बाद से ही कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पदाधिकारियों के साथ निरंतर मंथन कर रहे हैं। अब प्रदेश अध्यक्ष की प्राथमिकता संगठन को मजबूत करने की है। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि कमलनाथ जल्द ही संगठन विस्तार कर सकते हैं।
कमलनाथ छोड़ सकते हैं नेता प्रतिपक्ष का पद
मप्र कांग्रेस संगठन में विस्तार के कयास लंबे समय से लगाए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान कमलनाथ ने प्रदेश संगठन का खाका भी उनके सामने प्रस्तुत किया। अब यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ सकते हैं। बता दें कि बीते समय से कांग्रेस के संगठन को लेकर चर्चाएं चल रहीं हैं। वहीं कमलनाथ भी लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ कह चुके हैं कि वह दोनों में से एक पद छोडऩा चाहते हैं। हालांकि अभी तक इस पर कोई स्पष्ट फैसला नहीं हुआ है।
युवा और सक्रिय नेताओं को मिलेगी जगह
प्रदेश संगठन में होने जा रही नियुक्तियों में जहां युवा और सक्रिय नेताओं को मुख्य भूमिका में रखा जाएगा, वहीं पार्टी के कई नाराज नेताओं-कार्यकर्ताओं को एडजस्ट किया जाएगा। ब्लॉक से लेकर प्रदेश स्तर तक हजारों कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं को पद और सम्मान दिया जाएगा, ताकि दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए संगठन को सक्रिय किया जा सके। प्रदेश में वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। संगठन में कसावट लाने के लिए सहयोगी संगठनों की समीक्षा बैठकें की जा रही हैं। 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए प्रदेश से लेकर ब्लाक स्तर तक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। 14 नवंबर को बाल कांग्रेस का गठन भी किया गया है। इसमें 16 से 20 साल के विद्यार्थियों को सदस्य बनाया जाएगा।
आंदोलन का रोड मैप भी तैयार
कांग्रेस आलाकमान ने सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को महंगाई और पेट्रोलियम की बढ़ी कीमतों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ धरने-प्रदर्शन का टास्क दिया है। तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद कांग्रेस किसान आंदोलन में किसानों की मौत और अब तक हुए नुकसान का मुद्दा भी उठा रही है। इसे केंद्र सरकार की बड़ी विफलता के तौर पर जनता में भुनाने की प्लानिंग है। केंद्र की मोदी सरकार के 7 साल से ज्यादा के कार्यकाल की विफलता जनता के बीच ले जाने की तैयारी कांग्रेस पार्टी की ओर से की जा रही है। प्रदेश में भाजपा की सरकार है, इसलिए राज्य में बड़े लेवल पर आंदोलन और धरने-प्रदर्शन के कार्यक्रमों को रोड मैप भी तैयार किया गया है।
मप्र नहीं छोडूंगा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने एक बार फिर दोहराया है कि वे मप्र नहीं छोड़ेंगे। एक व्यक्ति, एक पद की व्यवस्था के तहत पार्टी अध्यक्ष जो भी फैसला करें, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी हैं। वे नेता प्रतिपक्ष पद के लिए किसी अन्य नेता का चयन करने के लिए आपसी सहमति बनाने की बात पहले ही कह चुके हैं।