नई दिल्ली । कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को उन ‘उपद्रवी तत्वों’ को लेकर चिंता व्यक्त की है, जो कानूनी, वैध और संवैधानिक चीजों का ‘एड़ी-चोटी का जोर लगाकर’ विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के लिए यह दावा करना एक ‘फैशन’ बन गया है कि वे संविधान को स्वीकार नहीं करते। कानून मंत्रालय के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जब संसद कोई विधेयक पारित करती है या जब विधानसभा कुछ कानूनों को मंजूरी देती है, तो यह कहने का कोई कारण नहीं है कि हम इसका पालन नहीं करेंगे।
रिजिजू ने यह टिप्पणी सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले की है, जहां सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक सूचीबद्ध किया है। 40 किसान संघ पिछले एक साल से इनकानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। रिजिजू ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है इसलिए हमें विरोध करने का अधिकार है, वैचारिक मतभेद का अधिकार है। हमें असहमति का अधिकार है। लेकिन संवैधानिक रूप से जो कुछ भी किया गया है उसका सभी को सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने कहा कोई अधिनियम संवैधानिक है या असंवैधानिक इसपर न्यायपालिका को निर्णय लेने दीजिए। मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों के लिए यह कहना ‘फैशन’ बन गया है कि हम संविधान को स्वीकार नहीं करते कुछ कहते हैं कि संविधान हमारे पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा शहरों में हम इसे महसूस नहीं करते हैं, लेकिन गहराई में जाने पर हम देखते हैं कि कुछ तत्व उभर रहे हैं यह बहुत परेशान करने वाला है जो कुछ भी कानूनी, वैध, संवैधानिक है उसका ऐड़ी-चोटी का जोर लगाकर विरोध किया जा रहा है।