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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 दिसंबर को दिल्ली के लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी करेंगे। डिनर के बाद दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक भी होगी। इसमें क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर रणनीतिक स्थिरता को प्रभावित करने वाली नई चुनौतियों से निपटने पर चर्चा होगी। मोदी के साथ बैठक में राष्ट्रपति पुतिन विस्तृत औपचारिक दिनचर्या से गुजरे बिना प्रधानमंत्री आवास पर अफगानिस्तान, इंडो-पैसिफिक, रणनीतिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन, मध्य-पूर्व और आतंकवाद पर पीएम मोदी के साथ चर्चा पर ध्यान केंद्रित करेंगे। वहीं, भारत और रूस के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच टू प्लस टू वार्ता शिखर सम्मेलन से एक ही दिन पहले होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि पुतिन ने इससे पहले 5 अक्टूबर, 2018 को भारत की यात्रा की थी। पीएम के आवास के अंदर एक छोटा सा तंबू लगाया गया था, जहां दो दोस्तों ने केवल दुभाषियों की मौजूदगी में बात की थी। इस दौरान उन्होंने भारतीय व्यंजनों का लुफ्त उठाया था। रूस में बढ़ रहे कोरोना के मामलों को देखते हुए राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा कुछ घंटों तक चलने की उम्मीद है। हालांकि माना जा रहा है कि डिनर के बाद शुरू होने वाली याह बैठक तड़के सुबह तक चल सकती है। भारत और रूस उस दिन कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं, लेकिन दोनों देश मोदी सरकार द्वारा मॉस्को से बेहद जरूरी एस-400 मिसाइल सिस्टम हासिल करने को लेकर हो रही साजिश से बेफिक्र हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वाशिंगटन हर बार भारत को धमकी देता है कि वह कैटसा अधिनियम का हवाला देते हुए प्रतिबंध लगाएगा। हालांकि मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर एक दूसरे की आपसी समझ के लिए बाइडेन प्रशासन के साथ लंबी चर्चा की है। भारत के लिए एस-400 सिस्टम की प्रासंगिकता अब बहुत महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि चीनी पीएलए ने पहले ही वही रूसी सिस्टम एलएसी के नजदीत तैनात कर दिया है। पीएलए अब तक पूरी तरह से लद्दाख एलएसी पर तैनात है, जिसमें कम से कम तीन डिवीजनों के सैनिक, मिसाइल और रॉकेट रेजिमेंट हैं, जो वायुसेना के साथ स्टैंडबाय पर हैं। चीन ने भारत की ओर दो एस -400 सिस्टम और ताइवान के खिलाफ तीन पूर्वी तट की रक्षा के लिए तैनात किए हैं। यह पहले से ही रूसियों के साथ एस-500 सिस्टम हासिल करने के लिए बातचीत कर रहा है जो अंतिम चरण में है। इस मुद्दे की जानकारी रखने वाले एक पूर्व विदेश सचिव ने कहा, "किसी को यह समझना चाहिए कि पांच एस -400 सिस्टम की खरीद के लिए 2018 की शुरुआत में अनुबंधित की गई थी। चीन का मुकाबला करने के लिए इसकी आवश्यकता है, जिसके पास मई 2020 से एलएसी पर एक दुर्जेय शस्त्रागार है।
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