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भोपाल । प्रदेश भाजपा ने विभाग-मोर्चों की टीमों को घोषित कर दिया है, लेकिन अब भी दिग्गजों के पेंच के कारण अधिकतर जिला टीमें अटकी हुई हैं। करीब बीस जिलों की टीमें अभी घोषित नहीं हो पाई है। इसमें चारों प्रमुख शहर शामिल हैं। इसके अलावा अनुशासन समिति सहित अन्य समितियों का भी गठन नहीं हो पाया है। जिला टीमों के मामले में 15 जुलाई तक गठन करके दिल्ली बैठक की रिपोर्ट भेजना थी, लेकिन इसका पालन नहीं हो पाया। वहीं मंडल टीमों को गठन करके 31 जुलाई तक दिल्ली रिपोर्ट भेजने की गाइडलाइन थी, लेकिन इस पर भी अमल नहीं हो सका। प्रदेश संगठन दिल्ली की दोनों ही गाइडलाइन में चूक गया। अभी तक जिला और मंडल की टीमें पूरी गठित नहीं हो पाई हैं। अनुशासन समिति सहित अन्य समितियों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है। इसलिए इनके गठन को लेकर संगठन में खास हलचल नहीं है। इन्हें संगठन बाद में भी गठित कर सकता है। लेकिन, अब जिला टीमों का दबाव जरूर है।
भोपाल सहित बड़े जिलों में फंसा पेंच
जिला टीमों के गठन में दिग्गज नेताओं से संतुलन रखने की रस्साकशी का पेंच हैं। भोपाल-इंदौर सहित अन्य जिलों की टीमों की प्रारंभिक सूचियां करीब डेढ़ महीने पहले ही बन चुकी है। जुलाई के पहले हफ्ते में अनेक जिलों ने अपनी टीमें घोषित भी की, लेकिन भोपाल-इंदौर, जबलपुर-ग्वालियर सहित अन्य बड़े जिले ऐसा नहीं कर सके। खास तौर पर भोपाल-इंदौर में ज्यादा खींचतान हैं। दोनों जगह कई दिग्गज नेताओं के गुट हैं। दिग्गज अपने समर्थकों को टीम में फिट कराना चाहते हंै, लेकिन दोनों ही जगह पर युवा जिलाध्यक्ष हैं, जिनके लिए पुराने वरिष्ठ नेताओं को साध रखना दुष्कर साबित हो रहा है। ऐसे में टीम के गठन में दिक्कत आ रही है। वही ग्वालियर जिले सहित ग्वालियर अंचल में दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को प्रमुखता दी जानी है। इस कारण यहां टीमें अटकी ह। जबकि इसी जगह दूसरे नेताओं को भी साधना है।
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