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मुंबई। जलवायु परिवर्तन पर काबू पाने के सभी मौजूदा प्रयास अगर प्रभावी साबित होते हैं तो भी अगले कुछ दशक में दुनिया के कई अहम शहरों को पानी में समाने से नहीं रोका जा सकता है. यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बेहतर स्थिति होने पर भी करीब तीन दशक बाद यानि 2050 के आसपास से ही वैश्विक स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन शून्य हो पाएगा. ऐसा तब होगा जब इस दिशा में आज से ही कटौती शुरू की जाए. अभी तक अनुमानों के मुताबिक उत्सर्जन में कटौती शुरू होने के बावजूद वैश्विक स्तर पर तापमान में 1.5 डिग्री तक की वृद्धि होगी. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2040 तक तापमान में 1.5 डिग्री तक की वृद्धि होने का अनुमान है. इस कारण भारत के कुछ इलाकों में भारी बारिश के कारण बाढ़ तो कुछ इलाकों में सूखे जैसी स्थिति पैदा होगी. खासकर मुंबई के कई इलाकों पर खतरा मंडरा रहा है. बीते कुछ सालों से यहां के बारिश के पैटर्न में बदलाव हुआ है और यहां भारी बारिश हो रही है. इस कारण पूरा शहर बाढ़ की चपेट में आ जा रहा है. इसमें जानमाल का भी नुकसान हो रहा है. ऐसा वैश्विक जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है. कोस्टल रिस्क स्क्रीनिंग टूल एक आधुनिक उपकरण है. इससे ताजा अनुमानों के आधार पर तटीय इलाकों की मैपिंग की जाती है. इसी मैपिंग पता चलता है कि कब तटीय शहर के आसपास क्या बदलाव देखा जा सकता है. इस टूल के जरिए तैयार मैप को बारीकी से देखने पर पता चलता है कि 2030 तक देश के कई शहरों के तटीय इलाके टाइड लेवल के नीचे आ जाएंगे. इसमें मुंबई के कुछ इलाके, पूरा नवी मुंबई टाइड लेवल के नीचे आ जाएंगे. इस मैप के अनुसार आज के करीब 100 साल बाद 2120 में स्थित बेहद खराब हो सकती है. उस वक्त तक ये इलाके पाने में समा सकते हैं.
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