भोपाल । खंडवा लोकसभा के उपुचनाव निपटने के बाद अब निर्वाचित सांसद के लिए क्षेत्र की जनता के लिए काम करना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। सरकर ने मार्च 2020 से सांसद निधि पर लगाई रोक अब तक नहीं हटी है। इसलिए जनता की तत्काल समस्या का निराकरण करने में सांसद के हाथ खाली है। यह रोक मार्च 2022 तक रहेगी।दरअसल सरकार ने कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए फंड जुटाने के मकसद से सांसदों की स्थानीय विकास निधि यानी एमपीलेड को निलंबित कर दिया था। केंद्र के इस ऐलान के बाद से ही सांसदों को प्रति वर्ष अपने संसदीय क्षेत्र में मिलने वाले पांच करोड़ रुपए नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में नवनिर्वाचित सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के लिए जनता की समस्या का सामना करने की भी बड़ी चुनौती हैं।

इसलिए निर्वाचित सांसद के लिए अहम है निधि
दरअसल निर्वाचित सांसद के लिए ढाई साल का कार्यकाल बचा है, जिसमें उन्हें अपने काम की क्षमता दिखाना है। ऐसे में पांच माह तो अभी सांसद निधि पर ही रोक लगी है। बीच में निकाय और ग्राम पंचायतों की आचार संहिता में भी समय जाएगा। 2024 के पहले 2023 में विधानसभा के भी चुनाव होना है। गौरलब है कि सांसद निधि स्थानीय विकास निधि केंद्र सरकार की योजना है। इसके तहत सांसद अपने क्षेत्र में साल में 5 करोड़ रुपए के विकास कार्य को मंजूरी दे सकते हैं। इसमें सड़क, नाली, चबूतरे निर्माण, सामुदायिक भवन जैसी आदि कई छोटी समस्याएं जनता की दूर हो जाती है। खंडवा लोकसभा में पांच करोड़ रुपए से आठ विधानसभा में काम आती है।सांसद ज्ञानेश्वर पाटील ने कहा कि कोविड से निपटना सरकार की पहली प्राथमिकता में था। पहले लोगों की जान बचे विकास कार्य बाद में भी हो सकते हैं। इसमें निधि से चबूतरा निर्माण, बाउंड्रीवॉल आदि मूलभूत कार्य होते हैं। केंद्र और राज्य सरकार विकास कार्य कर रही है।