• क्या अभी और होगा दलबदल!


भोपाल । 30 अक्टूबर को होने वाले 4 सीटों के उपचुनाव से पहले बड़ा झटका झेलने वाली कांग्रेस पार्टी अब अलर्ट मोड पर है। खरगोन के बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला के दल बदल कर बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने उपचुनाव के आखिरी 72 घंटों के लिए अब नया प्लान तैयार किया है। उसने बूथ स्तर पर मॉनिटरिंग बढ़ा दी है। पीसीसी चीफ कमलनाथ खुद बूथ स्तर पर निगरानी रख रहे हैं।कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा पार्टी पूरी तरह सतर्क है। आखिरी दौर में चुनाव को प्रभावित करने की बीजेपी की कोशिशों को रोकने के लिए दमोह की तरह पार्टी कार्यकर्ताओं को अलग किया गया है। दमोह चुनाव के दौरान भी पैसे बांटने के मामलों पर नजर रखी गई थी और दमोह में कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। 4 सीटों के उपचुनाव में भी आखिरी दौर में वोटरों खिसक न पाएं इस पर कांग्रेस की पूरी नजर है। वोटिंग के दिन हर चरण पूरा होने पर पार्टी सर्टिफिकेट लेने के बाद ही दूसरा चरण शुरू करने पर सहमति देगी।

आखिरी दौर में क्यों पिछड़ती है कांग्रेस
उप चुनाव की तैयारियों में लगे पूर्व सीएम कमलनाथ ने पहले ही कहा था कांग्रेस हर चुनाव उपचुनाव में पहले बीजेपी से आगे निकलती हुई नजर आती है लेकिन आखिरी दौर के चुनाव में कांग्रेस पिछड़ जाती है। आखिरी दौर में खुद को मजबूत रखने पर ही पार्टी को फोकस रखना है। लेकिन आखिरी दौर के चुनाव प्रचार में बीजेपी ने कांग्रेस को एक और झटका देकर उसकी सतर्कता की हवा निकाल दी है। बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला दल बदल कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। यह कांग्रेस की बड़ी चूक उभरकर सामने आई है।

क्या अभी और होगा दलबदल
वही प्रदेश के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा जो भी बीजेपी के विचारों से मेल खाता है उसका पार्टी में स्वागत है। उन्होंने ने यह कहकर कांग्रेस की धड़कन को तेज कर दिया है कि अभी कुछ और कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

अपना घर बचाने की चिंता
4 सीटों के उपचुनाव में अब कुछ दिन का समय बाकी है और ऐसे में आखिरी दौर में कैसे वोटरों को रिझाया जाए और कैसे खुद को मजबूत किया जाए इसकी कोशिश में सियासी दल लगे हैं। बीजेपी जहां अपना जनाधार बढ़ाते हुए कांग्रेसी के घर में सेंधमारी में जुटी है वहीं कांग्रेस उप चुनाव से पहले घर बचाने की चिंता से दो-चार हो रही है। ऐसे में 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव से पहले पार्टी को एकजुट रखना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।