जयपुर। राजस्थान सरकार ने बाल विवाह पंजीकरण के लिए विधानसभा में पिछले माह विधेयक तो पारित करा लिया। लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र ने इसे अब अपने पास रोक लिया है। इस विधेयक को अब तक मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा गया है। राज्यपाल इस मसले पर कानूनी सलाह ले रहे हैं। दरअसल, विधानसभा में विधेयक पारित होने के साथ ही विवाद शुरू हो गया था।
भाजपा के साथ ही एक निर्दलीय विधायक ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा था कि रजिस्ट्रेशन का अर्थ बाल विवाह को कानूनी मंजूरी देना है। ऐसे में यह विधेयक गलत है। राष्ट्रीय बाल अधिकारिता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगाे ने भी विधेयक को गलत बताते हुए कहा था कि बाल विवाह का पंजीकरण करना गलत निर्णय होगा। यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया। ऐसे में राज्यपाल इस विधेयक का अध्ययन कर रहे हैं। सितंबर माह में राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार ने कुल 15 विधेयक पारित कराए थे। इनमें से राजस्थान विवाह अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन विधेयक-2021 और मिलावट खोरी रोकने के लिए दण्ड विधियां संशोधन विधेयक-2021 मुख्य हैं।
राजभवन में इन विधेयकों का अध्ययन किया गया। अध्ययन के बाद मिलावट खोरी रोकने सहित 9 विधेयक तो राज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून बन चुके हैं । शेष 6 में से 5 की मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन विवादों में रहे विवाह पंजीकरण को अनिवार्य करने का विधेयक राजभवन ने फिलहाल रोक लिया है। इस विधेयक में सभी तरह के विवाह का पंजीकरण आवश्यक किया गया है। इसमें प्रावधान किया गया है कि अगर विवाह के समय लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की 21 साल से कम है तो उनके अभिभावकों को 30 दिन के भीतर इसकी सूचना रजिस्ट्रेशन अधिकारी को देनी होगी ।
सरकार और विपक्ष के अलग-अलग तर्क
विधेयक पारित होने के बाद से इस पर विवाद है। हालांकि विवाद को शांत कराने के लिहाज से अशोक गहलोत सरकार ने कई बार सफाई दी। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली है। संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन का मतलब उन्हे वैधता देना नहीं है। बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ उसका रजिस्ट्रेशन करने के बाद भी कार्रवाई होगी।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सीमा बनाम अश्विनी चौबे के मामले में फैसला देते हुए निर्देश दिए थे कि सभी तरह के विवाहों का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। किसी नाबालिग का विवाह हुआ है तो उसके बालिग होते ही उसे रद्द करने का अधिकार होगा। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि रजिस्ट्रेशन का मतलब ही कानूनी रूप से बाल विवाह को वैधता देना है। यह बाल विवाह रोकने के लिए बने शारदा एक्ट का उल्लंघन है।
Please do not enter any spam link in the comment box.