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इंदौर। ट्रैफिक पुलिस के एडिशनल एसपी से लेकर डीएसपी और टीआई जिस पश्चिम क्षेत्र ट्रैफिक पुलिस मुख्यालय पर बैठते हैं वहां से महज 50 मीटर दूर फुटपाथों और एमओजी लाइन की सड़क पर कारों, जीपों से लेकर टाटा मैजिक ऑटो रिक्शा सुधारने के गैराज चलते हैं। आज तक नगर निगम से लेकर ट्रैफिक पुलिस ने इनको हटाने के लिए कभी कोई कार्रवाई नहीं की है। डीएसपी ट्रैफिक के दफ्तर एमओजी लाइन से गंगवाल बस स्टैंड तिराहे तक की सड़क पर पहले एक दो गैरेज टापरेनुमा शेड में खुले। पिछले बीस साल में इनकी संख्या बढ़ते डेढ़ दर्जन हो गई। शेड में तो एकाध गाड़ी ही सुधरती है दर्जनों गाड़ियां सड़क और फुटपाथ पर खड़ी कर सुधारी जाती है। नगर निगम की जितनी जगह पर ये वर्कशॉप काम करते हैं उसका किराया वसूल किया जाए तो सालभर मंे पांच से सात करोड़ रू. हो सकता है क्योंकि यह इलाका सबसे महंगा तो है ही साथ ही एक-एक कार को सुधारने का पैसा पांच हजार से बीस हजार तक वसूला जाता है। यहां कारों की लुहारी, वेल्डिंग से लेकर इंजन उतारने बनाने तक के सारे काम फुटपाथ पर ही होते हैं। कई बार तो गंगवाल बस स्टैंड से चलने वाली बसों को भी बस मालिक यहीं खड़ी करके सुधारते हुए देखे जा सकते हैं। नगर सेवा की बसें, टाटा मैजिक भी यहां सुधारी जाती है। कुल मिलाकर हजारों रूपए हर दिन गैरेज वाले कमाते हैं। रास्ता रोककर चक्काजाम के हालात पैदा कर देते हैं। नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस की क्रेन और रिमूवल वाली गाड़ियां दिन भर इन गैरेज के सामने से चक्कर काटती है लेकिन पिछले 15-20 साल में एक बार भी कार्रवाई नहीं की।
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