
जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित बैठक में उर्वरकों की उपलब्धता की समीक्षा करते हुए कहा कि पूरे देश में डीएपी उर्वरक की कमी है। डीएपी की आपूर्ति सिर्फ भारत सरकार द्वारा की जाती है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से केन्द्रीय उर्वरक मंत्रालय से लगातार संपर्क कर अक्टूबर माह में एक लाख दस हजार मैट्रिक टन डीएपी राजस्थान को उपलब्ध कराए जाने का आग्रह किया गया है।
उन्होंने कहा कि अक्टूबर महीने में प्रदेश की 1.50 लाख मैट्रिक टन की मांग के विरूद्ध केन्द्र सरकार द्वारा 68 हजार मैट्रिक टन डीएपी स्वीकृत किया गया है। उसमें से भी अभी तक 60 हजार मैट्रिक टन डीएपी प्राप्त हुआ है। इससे डीएपी आपूर्ति में कमी हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा आपूर्ति में सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों उनकी ओर से पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ध्यान प्रदेश में डीएपी की पर्याप्त आपूर्ति एवं किसानों को हो रही कठिनाईयों की ओर दिलाया गया। साथ ही केन्द्रीय उर्वरक मंत्री से भी फोन पर बात कर उनसे डीएपी आपूर्ति बढाने की मांग की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला कृषि अधिकारी किसानों के बीच जाकर उन्हें डीएपी के वैकल्पिक उर्वरकों के बारे में जानकारी दें। किसानों को बताया जाए कि डीएपी की उपलब्धता नहीं होने पर सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) को डीएपी के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा लाभदायक है। इससे फसल उत्पादन में किसी तरह की कमी नहीं आएगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को एसएसपी एवं एनपीके जैसे उर्वरकों के उपयोग के लिए प्रेरित करें और उन्हें बतायें कि डीएपी के विकल्प के रूप में दोनों कारगर उर्वरक हैं। बैठक में कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने कहा कि केन्द्रीय उर्वरक मंत्री से उन्होंने डीएपी आपूर्ति बढाने के संबंध में चर्चा की है। इस संबंध में पत्र भी लिखा गया है। केन्द्रीय उर्वरक मंत्री ने राजस्थान को पर्याप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध कराने के संबंध में आश्वासन दिया है।
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