6 सितम्बर को बड़ी संख्या में बड़वानी में आदिवासियों के इकट्ठा होंगे, समापन पर सभा


भोपाल । जोबट विधानसभा से जुड़े बड़वानी जिले में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ आदिवासी आक्रोश रैली के बहाने उपचुनाव का बिगूल फूंकने जा रहे हैं। रैली के समापन पर यह उनकी उपचुनाव की पहली सभा होगी। सभा को सफल बनाने के लिए पूर्व मंत्रियों को संगठन ने यहां जवाबदारी दे रखी है। पूरे प्रदेश में 47 आदिवासी बहुल विधानसभा सीटें हैं, इनमें सबसे ज्यादा विधानसभा झाबुआ और अलीराजपुर के साथ-साथ धार जिले में भी आती हैं। पिछले दिनों एक आदिवासी की हत्या के बाद कांग्रेस को बैठे-बिठाए आदिवासियों पर अत्याचार के विरोध का मुद्दा मिल गया है और इसी मुद्दे को लेकर खुद कमलनाथ मैदान में कूद गए हैं।  चूंकि आदिवासी बहुल खंडवा लोकसभा और जोबट विधानसभा में उपचुनाव हैं, इसलिए यहां भी आदिवासियों को साधने और उनके साथ खड़े होने का दावा कांग्रेस कर रही है। जोबट में कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया के निधन के बाद खाली हुई सीट को कांग्रेस अपने पास से नहीं जाने देना चाहती है और खंडवा को अपने खाते में डालना चाहती है।  इसलिए यहां भी खासा जोर दिया जा रहा है। पहले कांग्रेस आदिवासी अधिकार रैली निकालने जा रही थी, लेकिन अब इसे आदिवासी आक्रोश रैली का नाम दिया गया है। 6 सितम्बर को यह रैली बड़वानी में आयोजित की गई है। इससे आदिवासी क्षेत्र जुड़े होने के कारण बड़ी संख्या में आसपास के आदिवासी इस रैली में भाग लेंगे।


रैली में शामिल होंगे आदिवासी क्षेत्रों के लोग
 रैली के समापन पर कमलनाथ एक सभा को भी संबोधित करेंगे, जिसमें कांग्रेस के आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री भी मौजूद रहेंगे। इस रैली को उपचुनाव के प्रचार की शुरूआत के रूप में देखा जा रहा है। रैली के प्रभारी का काम देख रहे खरगोन विधायक एवं इंदौर जिला प्रभारी रवि जोशी ने बताया कि  खरगोन में कम बारिश होने के बावजूद सूखा घोषित नहीं किया गया है। आदिवासियों के साथ लगातार दुव्र्यवहार हो रहा है। आदिवासी युवा बेरोजगार हैं। इन सब मुद्दों को लेकर आदिवासी समाज आक्रोशित है और कांग्रेस के साथ खड़ा हुआ है। इस रैली में नर्मदा किनारे के जिलों और आदिवासी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में समाज के लोग आ रहे हैं जो भाजपा की झूठी घोषणाओं के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर करेंगे। रैली के लिए पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ सहित अन्य बड़े नेताओं को जवाबदारी सौंपी गई है।