मध्य प्रदेश गो गोपालन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी निखिलेश्वरानंद गिरी महाराज ने बाबा रामदेव के घी पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि बाबा रामदेव का घी खाने के लिए तो बेहतर है, लेकिन उसका उपयोग हवन में नहीं किया जा सकता। बाबा रामदेव जो दूध मंगा रहे हैं, उससे जो घी बनता है, वह घी देशी गाय का नहीं है। यज्ञ में जो घी डाला जाता है, वह देशी गाय का होना चाहिए। स्वामी निखिलेश्वरानंद बुधवार को दमोह के तेंदूखेड़ा में संचालित आचार्य विद्यासागर दयोदय गोशाला का निरीक्षण करने पहुंचे थे।
गोशालाओं के लिए सरकार देती है केवल 20 रुपए
गिरी महाराज ने कहा कि गोशालाओं का संचालन स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से ही हो सकता है। वही, इनका बेहतर संचालन करती हैं। सरकार तो केवल 20 रुपए ही देती है। बाकी गोशालाओं का पूरा खर्च संस्थाओं से जुड़े लोग ही उठाते हैं। यह बात उन्होंने एक उदाहरण के तौर पर कही थी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा गोवंश हैं। यहां गोशालाओं का संचालन तभी बेहतर ढंग से संभव है, जब 40% गाय दुधारू हों, ताकि उस दूध को बेचकर अन्य गायों की देखरेख बेहतर की जा सके।
इस पद पर अभी तक तो नेता ही बैठते थे
गिरी महाराज ने कहा कि गो पालन बोर्ड के अध्यक्ष पद पर अभी तक तो केवल नेता ही बैठते आ रहे थे, जिन्हें गौ सेवा और गोशाला के बारे में कोई जानकारी नहीं रहती थी। यह पहला मौका है जब उन्हें इस तरह की जवाबदारी दी गई है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में गोवंश पर्याप्त मात्रा में हैं, लेकिन उसमें नस्ल सुधार की जरूरत है। देखरेख के अभाव में यहां की नस्ल बिगड़ती जा रही है। यहां पर सांड तो बहुत देखने को मिलेंगे, लेकिन बिगड़ैल सांड होने के कारण नस्ल सुधार नहीं हो पा रहा है। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा, तभी यह संभव हो पाएगा। यदि नस्ल सुधार हो जाएगी, तो यहां समृद्धि आएगी।
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