भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवास के सभागार में पंडित श्रीराम शर्मा के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा आदरांजली अर्पित की।
पंडित श्रीराम शर्मा भारत के एक युगदृष्टा मनीषी थे। जिन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार की स्थापना की। उन्होंने अपना जीवन समाज की भलाई और सांस्कृतिक व चारित्रिक उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने आधुनिक व प्राचीन विज्ञान और धर्म का समन्वय करके आध्यात्मिक नवचेतना को जगाने का कार्य किया ,ताकि वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सके।
उनका व्यक्तित्व एक साधु पुरुष, आध्यात्म विज्ञानी, योगी, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, लेखक, सुधारक, मनीषी और दृष्टा का समन्वित रूप था।
पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्म 20 सितम्बर 1911 को उत्तरप्रदेश के आगरा जनपद के ऑवलखेड़ा ग्राम में हुआ था। साधना के प्रति उनका झुकाव बचपन में ही दिखाई देने लगा, जब वे अपने सहपाठियों को, छोटे बच्चों को अमराइयों में बिठाकर स्कूली शिक्षा के साथ-साथ सुसंस्कारिता अपनाने वाली आत्मविद्या का शिक्षण दिया करते थे।
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की छोटी-छोटी लगभग तीन हज़ार पुस्तिकाएं प्रकाशित हैं। करीब पांच हज़ार व्याख्यानों के माध्यम से पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने अपना संदेश करोड़ों लोगों को दिया। शांतिकुंज, हरिद्वार में आज भी नियमित रूप से पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के संदेश को प्रसारित किया जाता है। गायत्री परिवार ने काफी बड़ा स्वरूप ग्रहण कर लिया है। मध्यप्रदेश में भी आचार्य जी के लाखों अनुयायी हैं।
पण्डित श्रीराम शर्मा का 2 जून 1990 को देहावसान हुआ। सन 1991 में भारत सरकार ने उनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया।
Please do not enter any spam link in the comment box.