वाराणसी । बैक्टीरिया नाम सुनते ही आमतौर पर लोग डर जाते है। लोगों के मन में यह विचार आता है कि इससे उन्हें कोई गंभीर बीमारी तो नहीं हो जाएगी। लेकिन अब बैक्टीरिया से दूषित जल को साफ किए जाने का तरीका खोज लिया गया है। आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने इसका तरीका खोजा है।
डेढ़ साल के शोध के बाद संस्थान के वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया का नया स्ट्रेन खोज निकाला है, जो दूषित जल से जहरीले हेक्सावलेंट क्रोमियम को खत्म कर सकता है। आईआईटी बीएचयू के स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के वैज्ञानिकों ने मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के इंड्रस्ट्रीयल ड्रेन से बैक्टीरिया के नए स्ट्रेन को आइसोलेट किया है। उसके बाद लैब में शोध के बाद पाया पाया कि इस नए बैक्टीरियल स्ट्रेन से दूषित जल से हेक्सावलेंट क्रोमियम को हटाने की विशेष क्षमता है। उल्लेखनीय है कि जल में हेक्सावलेंट क्रोमियम की मौजूदगी से लोगों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने की संभावना होती है। आईआईटी बीएचयू के विशेषज्ञों का यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंट केमिकल इंजीनियरिंग में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ता डॉ विशाल मिश्रा ने बताया कि बैक्टीरिया के नए स्ट्रेन से दूषित जल को साफ किया जा सकता है। शोध के बाद हमलोगों ने पाया कि बैक्टीरिया के इस नए स्ट्रेन से किसी तरह की बीमारी नहीं होती है। भविष्य में इस विधि से नदियों का जल भी साफ किया जा सकेगा। इसकी मदद से गंगा, युमना और अन्य नदियों से हेक्सावलेंट क्रोमियम को हटाया जा सकेगा।
भारत जैसे विकासशील देशों में दूषित जल से होने वाले रोग बड़ी समस्या हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक हर साल 34 लाख लोग दूषित जल से संबंधित बीमारियों के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं। जलस्रोतों में हेक्सावलेंट क्रोमियम जैसी भारी धातु होने से कैंसर ने एक गंभीर समस्या का रूप ले लिया है। ऐसे में इस बैक्टीरिया के इस नए स्ट्रेन की खोज दुनिया को इस संकट से निकालने में मददगार साबित हो सकती है। जलस्रोतों में मौजूद भारी धातुओं के कारण कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कैंसर के अलावा जहरीली भारी धातुओं वाले पानी का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से त्वचा रोग, पित्ताशय, गुर्दे और बांझपन की समस्या भी पैदा हो सकती है।
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