भोपाल के राहुल शर्मा का स्टार्टअप महज दो साल में एक अरब डॉलर के विशिष्ट यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गया है। इसमें निवेश करने के लिए नामचीन कंपनियों में होड़ मची है। जोमेटो और ड्रीम-11 जैसी बड़ी कंपनियों के निवेशक और खुद ओयाे के संस्थापक रितेश अग्रवाल आंख मूंदकर राहुल के स्टॉर्टअप पर दांव लगा रहे हैं। कार और फुड डिलीवरी जैसी एग्रिगेटर सेवा और डिजिटल पेमेंट जैसी कंपनियों की भेड़चाल में शामिल होने की जगह राहुल की कंपनी जेटवेर्क मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रा सेक्टर में काम कर रही है।

राहुल की कंपनी यह सुनिश्चित करती है कि सड़कपुलमेट्रोरेलवे और सिंचाई परियोजनाओं के ठेके लेने वाली कंपनियां दी गई सरकारी डेडलाइन पर ये प्रोजेक्ट पूरे करें। कंपनी यह पूर्वानुमान लगाती है कि आने वाले दिनों में प्रोजेक्ट में सीमेंट व लोहे के साथ क्या-क्या उपकरण लगेंगेकहां से आएंगे। राहुल की कंपनी भारत व दक्षिणी-पूर्व एशियाई देशों की 1000 मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से सीधे संपर्क में रहती है। वह प्रोजेक्ट पर काम कर रहीं कंपनी और इनके बीच एक सेतु का काम करती है।

राहुल ने 2008 में कैंपियन स्कूल से पढ़ाई पूरी कीफिर उनका चयन आईआईटी रुड़की में हुआ। 2012 में उन्होंने वहां से बीटेक (इलेक्ट्रिकल) की। फिर ब्लैक बक्स जैसी मशहूर लॉजिस्टिक कंपनी व स्क्ल्म्बर्जर जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया। स्क्ल्मबर्जर में उनका पैकेज लाख अमेरिकी डॉलर (2.30 करोड़) सालाना था। राहुल ने साल बाद तीन दोस्त श्रीनाथ रामकृष्णनविशाल चौधरी और अमृत आचार्य के साथ मिलकर 2018 में जेटवेर्क की स्थापना की।

जेटवेर्क कंपनी का बाजार मूल्यांकन 7876 करोड़ के स्तर से पार
राहुल की कंपनी जेटवेर्क महज दो साल में ही एक अरब अमेरिकी डॉलर (7800 करोड़ रुपए) के यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई हैं। इस कंपनी में पांचवें दौर की फंडिंग हो चुकी है। इसमें उन्हें 895 करोड़ (12 करोड़ डॉलर) मिले। इससे कंपनी का बाजार मूल्यांकन 7876 करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गया।

राहुल ने भास्कर को बताया कि यह पांचवें सीरीज की फंडिंग कई नामचीन वेंचर कैपिटल (वीसी) दिग्गजों से मिली। इसमें ड्रीम-11 और जोमेटो में भारी निवेश करने वाली डीआई कैपिटल शामिल है। कुल 874 करोड़ रुपए में से 372.29 करोड़ रुपए डीआई कैपिटल ने निवेश किए हैं।

बाकी पैसा एवेनिर ग्रोथ (74 करोड़)ग्रीनओक्स (240 करोड़)लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर (167 करोड़ रुपए)सेक्वोइया (37 करोड़) और ऐसेल (1.85 करोड़ रुपए) के नाम हैं। बाकी पैसा ओयाे के संस्थापक रितेश अग्रवाल समर्थित एरोआ वेंचरक्यूईडी इनाेवेशन और अन्य ने निवेश किया है।

क्या करती है कंपनी...
राहुल ने भास्कर को बताया कि उनकी कंपनी उपभोक्ता सामानकैपिटल गुड्स और अन्य मशीनरी उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से साझेदारी कर रही है। कंपनी इंफ्राप्रोजेक्ट के तैयार होने पर उसका ढांचा और इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए मेटल शीट और एयरोस्पेस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के लिए सपोर्ट सिस्टम तैयार करती है। वह टीवीफ्रीज और दूसरे उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियों की प्रोडक्शन लाइन को भी गतिमान बनाए रखने का काम करती है।

कच्चेमाल के साथ मशीनों की क्षमताअचानक आने वाली बाधाओं का भी पूर्वानुमान लगाती है। राहुल के पिता मुकुल शर्मा वाणिज्यिक कर विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं।