कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री सदानंद सिंह का निधन हो गया है। पटना में खगौल के पास एक निजी अस्पताल क्यूरिस हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांसें ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
लंबा है राजनीतिक इतिहास, नौ बार रहे थे विधायक
सदानंद सिंह का लंबा राजनीतिक सफर रहा है। वह पहली बार कहलगांव सीट से 1969 में जीत कर विधायक बने थे। विधानसभा अध्यक्ष के अलावा बिहार सरकार में कई विभागों के मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह भागलपुर की कहलगांव विधानसभा सीट से नौ बार विधायक भी रहे थे। 2020 विधानसभा चुनाव में उनकी जगह बेटे शुभानंद मुकेश ने ली थी। हालांकि, वह भाजपा के पवन यादव से करीब 42 हजार वोटों से हार गए थे।
जमीनी नेताओं में थी पहचान, उम्र की वजह से राजनीति से दूर हुए
सदानंद सिंह की पहचान बिहार के जमीनी नेताओं में होती थी। साल 1969 में वो पहली बार कहलगांव सीट से विधायक बने थे। 1969 से 2015 तक लगातार 12 बार कहलगांव सीट से चुनाव लड़े और नौ बार जीते। साल 1977 की कांग्रेस विरोधी लहर में भी सिंह कहलगांव सीट से कांग्रेस के टिकट पर ही जीते थे। पार्टी में कुछ विवाद की वजह से उन्होंने 1985 में कहलगांव से निर्दलीय भी चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। एक बार कांग्रेस के टिकट पर भागलपुर लोकसभा का चुनाव लड़े। हालांकि, सफलता नहीं मिली। 2015 विधानसभा चुनाव के बाद ही उन्होंने संकेत दे दिया था कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा।
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