कहानी
'शेरशाह' (Shershaah) कैप्‍टन विक्रम बत्रा की बायॉपिक (Captain Bikram Batra Biopic) है। फिल्‍म करगिल युद्ध में कैप्‍टन बत्रा के पराक्रम और साहस के बूते देश की जीत और निजी जिंदगी से जुड़ी घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है।

फिल्‍म का कैनवस विक्रम बत्रा के साथ-साथ बड़ा होता है। उन्‍हें डिम्‍पल चीमा (कियारा आडवाणी) में अपना प्‍यार मिलता है। फिर 13JAF राइफल्‍स में लेफ्ट‍िनेंट के पद पर पोस्‍ट‍िंग होती है। एक किरदार के तौर पर कैप्‍टन बत्रा को पर्दे पर स्‍‍थापित करने में राइटर-डायरेक्‍टर ने बहुत समय खर्च किया है। जबकि इसमें थोड़ी तेजी दिखाई जा सकती थी। यही नहीं, कियारा आडवाणी जब भी पर्दे पर आती हैं, अध‍िकतर वक्‍त रोमांटिक गानों में खर्च हो जाता है। फिल्‍म जिस मूल कहानी पर आधारित है, वहां तक पहुंचने में यह देरी आपको खलती है। इस कारण फिल्‍म की गति भी धीमी पड़ती है। फिल्‍म का फर्स्‍ट हाफ आपको स्‍लो लग सकता है।

यह भी सच है कि कैप्‍टन विक्रम बत्रा की कहानी दिखाने का काम आसान नहीं था। कई सारे तथ्‍य, बहुत सारा ऐक्‍शन, उसमें परिवार और प्‍यार भी। इन सब को समेटना और करगिल युद्ध की ऐतिहासिक जीत को उसी जज्‍बे के साथ सिनेमाई पर्दे पर रखना। यह सब कठ‍िन काम था। फिल्‍म का दूसरे भाग में अध‍िकतर घटनाएं होती हैं, लिहाजा फिल्‍म स्‍पीड पकड़ती है।

सिद्धार्थ मल्‍होत्रा (Sidharth Malhotra) के ऊपर सबसे बड़ी जिम्‍मेदारी थी। कैप्‍टन विक्रम बत्रा के किरदार को लार्जर दैन लाइफ वाले अंदाज में पेश करना यकीनन एक मुश्‍कि‍ल काम था। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सिद्धार्थ मल्‍होत्रा की अब तक की बेस्‍ट परफॉर्मेंस है। युद्ध के सीन्‍स में सिद्धार्थ मल्‍होत्रा और निखरकर आते हैं। कियारा आडवाणी (Kiara Advani) अपने किरदार में ठीक लगी हैं। वह एक ऐसे इंसान से प्‍यार करती हैं, जिस दिल से भी बहादुर है। उनके किरदार में फिल्‍म की कहानी के हिसाब से करने को बहुत कुछ नहीं है।

श‍िव पंडित (Shiv Pandit) फिल्‍म में कैप्‍टन संजीव जामवाल के किरदार में हैं। एक ऐसा किरदार, जो बाहर से जितना कठोर दिखता है, अंदर से उतना ही कोमल है। निकेतन धीर मेजर अजय सिंह जसरोटिया के किरदार में अच्‍छे लगे हैं। कुछ ऐसा ही हाल शतफ फिगर का है। वह फिल्‍म में कर्नल योगेश कुमार जोशी के रोल में है और प्रभाव छोड़ते हैं। हालांकि, फिल्‍म में कुछ रूढ़िवादी विचार और बरसों से चली आ रही सोच भी दिखती है। खासकर पाकिस्‍तान को लेकर।

कुल मिलाकर 'शेरशाह' एक देशभक्‍त‍ि फिल्‍म है। युद्ध के कई सीन्‍स दिखाए गए हैं, लेकिन उन्‍हें और बड़े स्‍तर पर फिल्‍माया जा सकता था। करगिल युद्ध को लेकर देश ने जो कुछ भुगता है और साहस की जो गाथा, उसको लेकर आपको बतौर दर्शक एक कमी खलती है। हालांकि, बॉलिवुड में वॉर फिल्‍म्‍स ने अब तक जिस तरह की सफलता पाई है, उसे देखते हुए 'शेरशाह' हालिया रिलीज इस जॉनर की कई फिल्‍मों से आगे है। यह आपको एक ऐसी कहानी दिखाती है जो प्रेरणा भी देती है।

फिल्‍म की कहानी आपको बांधती है। वर्दी में वीर सैनिकों को दुश्‍मनों से लड़ते देखना, अपनी मिट्टी के लिए अंतिम सांस तक डटे रहना, यह सब एक दर्शक के तौर पर आपमें भावनाएं जगाती है। 'शेरशाह की सबसे बड़ी जीत यही है कि इसमें देश के हालिया इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक को फिर से रीक्रिएट करने की कोश‍िश की गई है। इसमें एक उत्साह भी है और 'हाई जोश' भी।