मांडू   मध्यप्रदेश के धार जिले के मांडू में मासूम भाई-बहन की कुएं में डूबने से मौत हो गई। बच्चे स्कूल में मिड डे मील (MDM) का गेहूं लेने गए थे। वहां से लौटते समय खेल-खेल में पहले 7 साल की बहन, फिर 5 साल का भाई बिना मुंडेर के कुएं में गिर गए। परिजन किसी तरह बच्चों को निकालकर मांडू के सरकारी अस्पताल ले गए, लेकिन वहां डॉक्टर ही नहीं मिले। बच्चों को गोद में लेकर परिजन आधे घंटे तक भटकते रहे। बाद में अस्पताल की ही एंबुलेंस से नालछा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने बच्चों को मृत घोषित कर दिया।

घटना बुधवार सुबह 11.30 बजे की है। मांडू के पप्पू सिंह भाबर के 3 बच्चे गांव के दूसरे बच्चों के साथ स्कूल गए थे। स्कूल घर से 1 किलोमीटर दूर है। कोरोना काल में क्लास नहीं लग रही है। टीचर बच्चों को बुलाकर मिड डे मील का अनाज देते हैं। बुधवार को स्कूल में मिड डे मील किसी कारण से नहीं मिला तो पप्पू सिंह का बड़ा बेटा विशाल, अपने छोटी बहन विकिता (7 साल) और छोटे भाई विष्णु (5 साल) को लेकर घर लौट रहा था। गांव के दूसरे बच्चे भी साथ थे।

इसी कुएं में डूब गए थे मासूम।

घर से 100 मीटर दूर 15 फीट गहरा कुआं है। यहां बच्चे पहुंचे और खेल-खेल में पहले विकिता और विष्णु गिर गए। विशाल ने दौड़कर अपने दादा मंगल सिंह को आवाज दी। कुएं के पास ही दिलीप का घर है। उसने बच्चों को बाहर निकाला। 108 एंबुलेंस को फोन लगाया। जवाब मिला- गाड़ी गांव के अंदर नहीं आ पाएगी। ऐसे में परिजन बाइक पर ही बच्चों को 5 किलोमीटर दूर मांडू के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टर नहीं थे। स्टाफ मौजूद था। आधा घंटा परिजन गुहार लगाते रहे, लेकिन बच्चों को इलाज नहीं मिल सका।

तब तक गांव के और भी लोग अस्पताल में आ चुके थे। हंगामा बढ़ता देख अस्पताल में खड़ी एंबुलेंस का ड्राइवर आया। इसके बाद बच्चों को नालछा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बच्चों को बचाया नहीं जा सका।

कई साल से स्थाई डॉक्टर नहीं

मांडू विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी है। सरकार और प्रशासन बड़े दावे करता है, लेकिन यहां के अस्पताल में कई साल से स्थाई डॉक्टर नहीं है। जिस डॉक्टर का अटैचमेंट है, वो यहां आते ही नहीं हैं।