सांचेत योग के 8 प्रमुख आसन और उनके लाभ
योग शास्त्रों के परम्परानुसार चौरासी लाख आसन हैं और वर्तमान में बत्तीस आसन ही प्रसिद्ध हैं। इनका अभ्यास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ व उपचार के लिए किया जाता है। योग आचार्य श्री ब्रजमोहन सेन बताते हैं योग का अर्थ है जोड़ना यानि जीवात्मा का परमात्मा से मिल जाना, पूरी तरह से एक हो जाना ही योग है। योगाचार्य श्री ब्रजमोहन सेन ने सम्पूर्ण योग के रहस्य को अपने योगदर्शन में सूत्रों के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार, “चित्त को एक जगह स्थापित करना योग है।
अष्टांग योग क्या है?
हमारे ऋषि मुनियों ने योग के द्वारा शरीर मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताए हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं..यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रात्याहार,धारणा,ध्यान,समाधि।
योग के जानकार श्री संतोष उपाध्याय के अनुसार कुछ ऐसे आसन और प्राणायाम भी हैं, जिसे आप घर पर बैठकर आसानी से कर सकते हैं और अपने जीवन को निरोगी बना सकते हैं। उपाध्याय के अनुसार आसान से तात्पर्य शरीर की वह स्थिति है जिसमें आप अपने शरीर और मन को शांत स्थिर और सुख से रख सकें। स्थिरसुखमासनम्: सुखपूर्वक बिना कष्ट के एक ही स्थिति में अधिक से अधिक समय तक बैठने की क्षमता को आसन कहते हैं
योग शास्त्रों के परम्परानुसार चौरासी लाख आसन हैं और ये सभी जीव जंतुओं के नाम पर आधारित हैं। इन आसनों के बारे में कोई नहीं जानता इसलिए चौरासी आसनों को ही प्रमुख माना गया है. और वर्तमान में बत्तीस आसन ही प्रसिद्ध हैं। आसनों का अभ्यास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ व उपचार के लिए किया जाता है।
आसनों को दो समूहों में बांटा गया है:-
1. गतिशील आसन- वे आसन जिनमे शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है।
2. स्थिर आसन- वे आसन जिनमे अभ्यास को शरीर में बहुत ही
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