अनूठी पहल - भष्म का उपयोग कर 4 हजार पौधों से विकसित किया जायेगा स्मृति वन
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अनूठी पहल - भष्म का उपयोग कर 4 हजार पौधों से विकसित किया जायेगा स्मृति वन

अनूठी पहल - भष्म का उपयोग कर 4 हजार पौधों से विकसित किया जायेगा स्मृति वन 



भोपाल -शहर के भदभदा विश्राम घाट परिसर स्थित खाली पड़े 11 सौ वर्गमीटर एरिया में 56 प्रजाति के 4 हजार पौधे लगाए जाएंगे । यहाँ 21 डंपर भस्म, मिट्टी, गोबर खाद, लकड़ी बुरादा, रेत से तैयार मिट्‌टी का उपयोग कर  कोविड स्मृति वन बनाने का निर्णय लेकर विश्राम घाट समिति ने एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है । संभवतः यह देश का पहला कोविड स्मृति वन होगा ।


 भदभदा विश्राम घाट के अध्यक्ष अरुण चौधरी के अनुसार कोविड काल में दिवंगतों की यादों को सहेजने के लिए इस स्मृति वन को विकसित किया जा रहा है । मृतकों के परिजनों से भी समिति नेअनुरोध  किया है कि वह आकर पौधे रोपे । पेड़ बनने तक की सेवा प्रबंधन द्वारा की जाएगी। उन्हाेंने बताया कि जापानी पद्धति मियावाकि से सघन पौधरोपण कर जंगल विकसित किया जाएगा। 


मियावाकि  पद्धति को जापान के बॉटेनिस्ट अकीरा मियावाकी ने विकसित किया था। इसकी मदद से बहुत कम और बंजर जमीन में भी तीन तरह के पौधे (झाड़ीनुमा, मध्यम आकार के पेड़ और छांव देने वाले बड़े पेड़) लगाकर जंगल उगाया जा सकता है।

भदभदा समिति के कोषाध्यक्ष अजय दुबे ने बताया कि यह पौधरोपण 5 जुलाई से 7 जुलाई तक सुबह 10 से शाम 5 बजे तक लगातार जारी रहेगा और इस पवित्र पर्यावरणीय सेवा में कोविद में मृत लोगों के परिजनों और आम नागरिकों से  पौधरोपण कर अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं । समिति के सचिव मम्तेश शर्मा ने बताया कि कोविड काल के दौरान जिन दिवंगत आत्माओं का दाह संस्कार भदभदा विश्राम घाट में हुआ था और परिस्थितियों वश परिजन पूरी भस्म नही ले जा पाए थे। उसे 21 डंपर भस्म को भी इस स्मृति वन में मिट्टी, गोबर खाद, लकड़ी बुरादा, रेत, पेड़ो की पत्तियों के साथ मिलाकर जमीन को तैयार किया गया है। जिससे पौधे जल्द विकसित हो सके।

                                                                                                                                                  Demo pic

इसमें अलग-अलग हाइट के भारतीय कैटेगिरी के चार हजार विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे।

ज्ञात हो की ‘भदभदा विश्राम घाट में 15 मार्च से 15 जून तक 90 दिनों की अवधि के दौरान कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार 6,000 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया. इनमें से अधिकांश के परिजन कोरोना महामारी के कारण लगे पाबंदियों की वजह से पवित्र नदियों में प्रवाहित करने के लिए अपने परिचितों की थोड़ा-थोड़ा भस्म एवं हड्डी के बचे हुए टुकड़े ले गये और अधिकांश भस्म को वहीं पर छोड़ गये थे.'


बता दें कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले हिन्दुओं का भोपाल में दो विश्राम घाटों में अंतिम संस्कार किया गया, जिनमें से एक भदभदा विश्राम घाट शामिल है.


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