भोपाल. इस वर्ष कोरोना काल में पूरे मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर चल रहे गेहूं खरीदी केंद्रों पर भारी भ्रष्टाचार हुआ है और सहकारी अमले के साथ शासकीय अमले ने आपदा को कैसे अवसर में बदला है यह भोपाल एवं होशंगाबाद जिले के दो खरीदी केंद्रों के उदाहरण से ही पूरे प्रदेश मैं समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी मैं हूं हुए भारी भ्रष्टाचार का नक्शा सामने आ जाता है.
पहला मामला भोपाल जिले की बेरसिया तहसील के केसरी वेयरहाउस का है विगत दिवस जब खरीदी के दौरान खबर खालसा संवाददाता आर एस सिंह खालसा अपने नियमित कार्यक्रम के दौरान उक्त खरीदी केंद्र पर पहुंचे तो वहां अपनी उपज का विक्रय कर रहे किसानों ने उन्हें जानकारी दी की समिति वाले बार दाने का शासन द्वारा निर्धारित वजन की जगह 500 से लेकर 700 ग्राम वजन तोल रहे हैं वही अनावश्यक रूप से सर्वेयर किसानों की उपज को रिजेक्ट कर रहा है और दबाव बनाकर किसानों से अवैध वसूली में संलग्न है वहां उपस्थित युवा किसान ने जब इस संवाददाता को अपनी व्यथा बतलाई की सर्वेयर मुझसे ₹4000 मांग रहा था मैं ₹3000 दे चुका हूं ₹1000 और मांग रहा है तब मेरी गेहूं की तुलाई होगी आखिर जब इस संवाददाता ने इस अवैध वसूली का विरोध करते हुए सर्वेयर को फटकार लगाई तो उसने किसान के ₹3000 वापस कर दिए इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है खरीदी केंद्रों पर निरीक्षण के अभाव में किसानों से किस तरह अवैध वसूली की गई है
यही नहीं ट्राली तोलाई के बाद बिल देने के नाम पर भी वसूली चल रही थी किसानों ने बतलाया की बिल देने की फीस ₹1000 निर्धारित थी जो किसानों से वसूल की जा रही थी.
इस अनियमितता की शिकायत करने एवं इसकी रोकथाम बाबत तुलाई सेंटर के प्रबंधक जेपी शर्मा से संपर्क साधने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया इसके बाद क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व राजीव रंजन श्रीवास्तव को कम से कम 5 बार फोन लगाने पर भी उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया ऐसे हैं मध्य प्रदेश शासन के किसान हितेषी जिम्मेदार निरीक्षण करता अधिकारी.
वही खरीदी केंद्रों पर इसी प्रकार की अनियमितता का संगीन मामला होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा तहसील के बनाडा थाना शिवपुर के अंतर्गत खरीदी केंद्र का आया है यहां पर खरीदी केंद्र का संचालक अशोक पटेल समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं में रेत की मिलावट कर वजन बढ़ा रहा था और उस गेहूं को शासकीय वेयरहाउस में पहुंचा रहा था जिसे रंगे हाथ पकड़ा गया है हालांकि जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला तो दर्ज कर लिया है लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते उस व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं हुई है बताया जाता है कि अशोक पटेल क्षेत्र का एक दबंग व्यवसाई/ किसान है जिसकी राजनीतिक क्षेत्रों में विशेषकर सत्ताधारी दल के साथ अच्छी पकड़ है हालांकि क्षेत्र के नागरिकों का कहना है कि
जब शासन पूरे प्रदेश में इस प्रकार के माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर रहा है फिर इस मामले में विलंब क्यों शिवपुर थाना प्रभारी मोनिका सिंह का कहना है कि धारा 420 सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हो चुका है और प्रकरण विवेचना में है जिसमें अन्य कर्मचारियों के साथ ही किसान आदि के बयान लिए जा रहे हैं
प्रारंभिक सूचना के अनुसार लगभग 1300 क्विंटल समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं में रेत मिलाकर शासकीय वेयरहाउस ओ में पहुंचाए जाने के साक्ष्य सामने आ रहे हैं लेकिन यह घपला कितना है और कब से चल रहा है कुछ कहा नहीं जा सकता इस प्रकरण में नीचे से लेकर ऊपर तक मिलीभगत की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि बगैर संरक्षण के इस प्रकार की अनियमितताएं संभव ही नहीं है वही निरीक्षण करता अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी उंगलियां उठ रही हैं
आर एस सिंह खालसा का कहना है कि शासन वास्तव में यदि दोषियों को दंडित करते हुए किसानों को न्याय दिलाना चाहता है तो वह किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के नेतृत्व में जांच दल का गठन करे मैं स्थल पर प्रमाण देने में मौजूद रहूंगा
Please do not enter any spam link in the comment box.