दो पीड़ितों ने कहा- नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने से बीमार परिजनों की हो गई मौत, मामले में डॉक्टरों को भी आरोपी बना सकती है पुलिस
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दो पीड़ितों ने कहा- नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने से बीमार परिजनों की हो गई मौत, मामले में डॉक्टरों को भी आरोपी बना सकती है पुलिस

मौत के सौदागर : दो पीड़ितों ने कहा- नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने से बीमार परिजनों की हो गई मौत, मामले में डॉक्टरों को भी आरोपी बना सकती है पुलिस
10-05-2021 
दो पीड़ितों ने कहा- नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने से बीमार परिजनों की हो गई मौत, मामले में डॉक्टरों को भी आरोपी बना सकती है पुलिस

- नकली रेमडेसिविर मामले में एक आरोपी 14 मई तक रिमांड पर

 इंदौर। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के मामले में पुलिस की जांच और कार्रवाई जारी है। कालाबाजारी वाले केस में पकड़ाए 17 में से 11 आरोपी नकली इंजेक्शन बेचने वाले हैं। अभी तक दो पीड़ित ऐसे मिले हैं, जिन्होंने बताया कि उनके मरीज को उक्त इंजेक्शन लगाने पर बीमार परिजन की मौत हो गई थी। जांच के बाद विजयनगर पुलिस ने इनके गैर इरादतन हत्या की धारा बढ़ा दी है।

पुलिस का कहना है कि डॉक्टरों ने भी लापरवाही की है, उन्होंने बिना देखे कैसे मरीज को उक्त इंजेक्शन लगा दिया। असली इंजेक्शन चाक के फार्म में आता है, जबकि नकली (नमक और ग्लूकोज) मिला इंजेक्शन पावडर के फार्म में था। इतना ही नहीं, आरोपियों ने एक ही सीरीज के सारे इंजेक्शन बनाए तब भी डॉक्टरों ने ध्यान नहीं दिया। अस्पताल प्रबंधन की भूमिका की भी जांची जाएगी।

कोरोना संक्रमण से लड़ाई में कारगर रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत के बीच प्रशासन ने इसका ऑडिट करने के निर्देश अस्पतालों को दे डाले। डीआईजी के निर्देश पर पुलिस कालाबाजारियों के पीछे लग गई। विजयनगर पुलिस ने पहले छह आरोपियों को पकड़ा। फिर समाजसेवा के नाम पर सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वाला धीरज साजनानी और अनाज व्यापारी और धोखाधड़ी का आरोपी रह चुका दिनेश चौधरी पुलिस के हत्थे चढ़ा। इनसे जब्त तीन इंजेक्शनों की जांच की तो उन पर एक ही सीरीज (246039 ए) डली मिली। पुलिस ने जांच की तो इंजेक्शन के नकली होने की बात सामने आई।

इसके बाद तो पुलिस हरकत में आई और एक-एक कर नकली इंजेक्शन सप्लाय करने वाले इंदौरी सरगना सुनील मिश्रा सहित अन्य का पता चला। विजयनगर पुलिस ने कुल 17 आरोपियों पर रासुका लगाई। इनमें से नकली इंजेक्शन बेचने वाले 11 आरोपी हैं। सभी पकड़े जा चुके हैं। नकली इंजेक्शन बनाने वाले सूरज गुजरात के कौशल वोरा और पुनीत शाह व इंदौरी सरगना सुनील मिश्रा इनमें शामिल हैं। धीरज और दिनेश चौधरी के बाद पुलिस ने सिद्धार्थ उर्फ प्रवीण और असीम भाले को पकड़ा। इन दोनों को रिमांड पर लिया। कल दोनों को कोर्ट में पेश किया, जहां सिद्धार्थ को जेल भिजवाने के बाद विजयनगर पुलिस ने असीम भाले को 14 मई तक के रिमांड पर लिया है।

पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने इंदौर में 1000 नकली इंजेक्शन खपाए हैं। इनके मोबाइल की कॉल डिटेल पर काम शुरू कर दिया है। इनसे इंजेक्शन खरीदने वालों व गिरोह के अन्य लोगों का पता चलेगा। इनके बेचे इंजेक्शन लगाने के बाद कितने मरीजों की मौत हुई। ये आंकड़ा भी बढ़ेगा। बिना इंजेक्शन को देखे उसे मरीज को लगाने वाले डॉक्टरों की भूमिका भी गंभीरता से देखी जाएगी। केस में डॉक्टर भी आरोपी बन सकते हैं। वहीं, आज पुलिस पकड़ाए आरोपियों की संपत्ति की जांच के लिए नगर निगम व अन्य विभागों को पत्र लिखेगी। ताकि इनकी संपत्ति को तोड़ने के साथ राजसात किया जा सके।

इन बातों पर ध्यान देने की है जरूरत

इंजेक्शन नकद रुपए में खरीदे व बेचे गए, जिनकी कालाबाजारी करोड़ों रुपयों में हुई?

पुलिस पकड़ाए आरोपियों से रुपए बरामद कर पाई कि नहीं। यह राशि आरोपियों ने अपने परिवार के सदस्यों व रिश्तेदारों को तो नहीं दी। यदि दी तो वे आरोपी बनेंगे कि नहीं? 

सुनील मिश्रा ने बताया कि वह अब तक 15 लाख के नकली इंजेक्शन खरीद चुका है। ये नकली इंजेक्शन खरीदने के लिए इतने नकद रुपए कहां से लाया।

- आमतौर पर छोटे-छोटे अपराधों में पुलिस को 7 से 14 दिन के रिमांड पर लेती है। इस जघन्य अपराध में दिनेश और धीरज का 1 दिन का ही रिमांड लिया गया, जबकि सबसे पहले ये ही नकली इंजेक्शन के साथ पकड़ाए थे।

इन पर टैक्स विभाग की कार्रवाई होनी चाहिए। इनके पीछे और कौन-कौन लोग हैं? 25 से 30 हजार रुपए में 1000 बेचे गए। इसकी करोड़ों रुपयों की राशि राजसात होगी कि नहीं?

मानवता से खिलवाड़, होगी कार्रवाई

 दिनेश चौधरी और उसके पिता बंशीलाल अनाज व्यापारी है और संघ से जुड़े हैं। अभी अनाज मंडी बंद है, जब भी खुलेगी तब कमेटी के सदस्यों से चर्चा कर इनकी सदस्यता खत्म करने पर निर्णय लिया जाएगा। मानवता से खिलवाड़ करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा। - संजय अग्रवाल (अध्यक्ष, अनाज मंडी एसोसिएशन)

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