कब और किसने लिखी थी हनुमान चालीसा, कई किवंदतियां हैं प्रचलित
पूजा आदि करने के बाद आप हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें. मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा पढ़ने का विशेष महत्व है.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. केप्स नाद इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.पूजा आदि करने के बाद आप हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें. मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा पढ़ने का विशेष महत्व है.
कहा जाता है दुनियाभर में हनुमान चालीसा सबसे ज्यादा बार पढ़ी जाने वाली पुस्तिका है. इसके लिखने को लेकर भी कई किवंदतियां हैं. यद्य़पि उनकी सच्चाई के बारे में कोई दावा नहीं कर सकता.
क्या आपको मालूम है कि हनुमान चालीसा किसने लिखी. तकरीबन हर हिंदू घर में हनुमान चालीसा रहती ही रहती है. बड़ी संख्या में हिंदू इसका रोज पाठ भी करते हैं. इसको लिखने वाले के बारे में कितने लोग जानते हैं. किंवदंती है कि इसे लिखने वाले को सम्राट अकबर ने जेल में डाल दिया था, उसके बाद बंदरों के उत्पात के बाद उन्हें रिहा करना पड़ा था.
मान्यता है कि हनुमान चालीसा के रचयिता तुलसीदास हैं. उन्होंने ही रामचरित मानस भी लिखा था. उनके नाम से तो हर कोई परिचित है. उन्होंने किन हालात में इसे लिखा, इसे लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं.
कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी को हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद से मिली. किंवदंती है कि एक बार मुगल सम्राट अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को शाही दरबार में बुलाया.
तब तुलसीदास की मुलाकात अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना और टोडर मल से हुई. उन्होंने काफी देर तक उनसे बातचीत की. वह अकबर की तारीफ में कुछ ग्रंथ लिखवाना चाहते थे. तुलसीदास जी ने मना कर दिया. तब अकबर ने उन्हें कैद कर लिया.
रिहाई भी अजब तरीके से हुई -
किंवदंती कहती है कि तुलसीदास की रिहाई भी फिर अजीब तरीके से हुई. ये किंवदंती फतेहपुर सीकरी में भी प्रचलित है. बनारस के पंडित भी इससे मिलती-जुलती एक और कहानी सुनाते हैं. बकौल इसके, एक बार बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को दरबार में बुलाया. उनसे कहा कि मुझे भगवान श्रीराम से मिलवाओ. तब तुलसीदास जी ने कहा कि भगवान श्री राम सिर्फ भक्तों को ही दर्शन देते हैं. यह सुनते ही अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार डलवा दिया.
किंवदंती है कि जब पहली बार तुलसीदास ने इसका वाचन किया तो खुद हनुमान जी एक बुजुर्ग व्यक्ति का रूप रखकर इसे सुनने आए
बंदरों के नुकसान के बाद रिहा के किए गए -
किंवदंती के अनुसार, कारावास में ही तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी. उसी दौरान फतेहपुर सीकरी के कारागार के आसपास ढे़र सारे बंदर आ गए. उन्होंने बड़ा नुकसान किया. तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त कर दिया. भारत की सबसे प्रमाणिक हिन्दी आनलाइन एनक्लोपीडिया भारत कोष भी तुलसीदास को हनुमान चालीसा का लेखक मानती है. हालांकि हिंदी के कुछ अन्य विद्वानों का कहना है कि हनुमान चालीसा किसी और तुलसीदास की कृति है.
दुनियाभर में सबसे ज्यादा बार पढ़ी जा चुकी है -
हनुमान चालीसा को दुनिया में सबसे ज्यादा बार पढ़ी जाने वाली पुस्तिका माना जाता है. इसमें हनुमान के गुणों एवं कामों का अवधी में बखान है. इस चालीसा में चालीस चौपाइयों में ये वर्णन है, इसीलिए इसे चालीसा कहा गया. इसमें 40 छंद भी हैं.
कहा जाता है कि जब पहली बार तुलसीदास ने इसका वाचन किया तो हनुमान जी ने खुद इसे सुना. एनडीटीवी डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार , हनुमान चालीसा को सबसे पहले खुद भगवान हनुमान ने सुना. प्रसिद्ध कथा के अनुसार जब तुलसीदास ने रामचरितमानस बोलना समाप्त किया तब तक सभी व्यक्ति वहां से जा चुके थे लेकिन एक बूढ़ा आदमी वहीं बैठा रहा. वो आदमी और कोई नहीं बल्कि खुद भगवान हनुमान थे.
हनुमान चालीसा के बारे में कुछ और बातें -
हनुमान चालीसा की शुरुआत दो दोहे से होती जिनका पहला शब्द है 'श्रीगुरु', इसमें श्री का संदर्भ सीता माता है जिन्हें हनुमान जी अपना गुरु मानते थे.
- हनुमान चालीसा के पहले 10 चौपाई उनके शक्ति और ज्ञान का बखान करते हैं. 11 से 20 तक के चौपाई में उनके भगवान राम के बारे में कहा गया, जिसमें 11 से 15 तक चौपाई भगवान राम के भाई लक्ष्मण पर आधारित है. आखिर की चौपाई में तुलसीदास ने हनुमान जी की कृपा के बारे में कहा है.
- अंग्रेजी के अलावा भारत की सभी भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है. ये गीता प्रेस द्वारा सबसे ज्यादा छापी जाने वाली पुस्तिका है.
Source - https://bit.ly/3f8Ilmo
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