सामान्य के बाद अब एमडीआर टीबी रोगियों की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी,
पिछले 1 साल में 1679 में से एमडीआर के 39 रोगी मिले, इनमें 16 महिला 23 पुरुष शामिल,
सुनील यादव मंडीदीप।
कोविड संक्रमण के खतरे के बीच क्षय रोग ने भी लोगों को अपनी चपेट में लेने की कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां सरकार 2024 तक जानलेवा टीबी छय रोगमुक्त देश का लक्ष्य लेकर काम करने का दावा कर रही है। वहीं सरकार के समस्त प्रयासों के बाद भी जिले में टीबी के मरीजों की संख्या में कमी आने की बजाय बढ़ोत्तरी हो रही है। इस भयावह बीमारी के बढ़ने की सच्चाई का पता जिला अस्पताल में दर्ज आंकड़ों से चलता है ।इसमें भी चिंता जनक पहलू यह है कि सामान्य की तुलना में एमडीआर मल्टीड्रग रेजिस्टेंट के रोगी तेजी से बढ़ रहे हैं। जहां वर्ष 2019 - 20 में सामान्य टीवी के मरीजों की संख्या 2155 तथा एमडीआर के 68 मरीज थे जबकि 20- 21 में 1679 और एमडीआर के 39 मरीज मिले। इसी तरह ब्लॉक में बीते वर्ष 12 और इस वर्ष 8 एमडीआर के मरीज मिले। देखने में यह आंकडे बीते वर्ष की तुलना में कम लग रहे हैं इसके पीछे की मुख्य वजह कोरोना है। बीते साल कोविड के कारण मरीजों की स्क्रीनिंग करना एक बड़ी चुनौती रहा। लॉकडाउन व संक्रमण के खतरे के चलते मरीज जांच के लिए अस्पतालों में नहीं पहुंच पाए थे। इसी कारण आंकडों में यह कमी नजर आ रही है। इस बात को विभागीय अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं । गत वर्ष अप्रैल से इस साल 25 मार्च तक एमडीआर के जो 39 मरीज मिले हैं उनमें 16 महिलाएं एवं 23 पुरुष शामिल है। गंभीर बात यह भी है कि एमडीआर के इलाज का तरीका तो कठिन है ही, यह सामान्य टीबी की तुलना में काफी महंगा भी है।
इस लिए बढ़ रहे एमडीआर के मरीज:
विभागीय अधिकारियों के अनुसार एमडीआर रोगियों के बढ़ने का मुख्य कारण उनके द्वारा समय से और नियमित रूप से दवाएं न लेना है। इस कारण इस स्तर पर ज्यादातर टीबी रोधी दवाएं अपना असर नहीं दिखा पाती हैं। इस रोग के तेजी से फैलने का एक बड़ा प्रमुख कारण इस रोग से पीड़ित रोगियों को आवश्यकता अनुसार पोस्टिक आहार ना मिलने के साथ ही दवा खाने से कुछ नहीं होगा। दवा नहीं खाएंगे तो भी अच्छे हो जाएंगे। जैसी कई भ्रांतियां भी हैं। इसके अलावा नगर में तेजी से बढ़ रही टीबी बीमारी का कारण विभिन्न कारखानों से निकलने वाली धूल एवं जहरीले धुएं को माना जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कारखानों से निकलने वाली अपशिष्ट गैस टीबी की बीमारी का कारण बन रही है। यह प्रदूषण इतना घातक होता है कि टीबी से पीडि़त रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता को भी कम कर देता है। जिसके चलते रोगी छ: माह के डाट्स कोर्स से भी पूरी तरह ठीक नही हो पाते हैं।
टीबी रोकथाम के लिए क्या उठाए जा रहे कदम:
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ प्रीति वाला बताती है कि हम टीबी रोकथाम के लिए जन आंदोलन चला रहे हैं। ताकि लोगों में जागरूकता बड़े। इसके लिए हम धर्मगुरुओं का साथ भी ले रहे हैं। लोगों को उसके साइड इफेक्ट बताने के लिए काउंसलिंग भी बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि नागरिक अस्पताल के अलावा, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी मरीजों को बलगम जांच की सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा पौष्टिक आहार के लिए भी सरकार क्षय रोगियों को प्रति माह 500 रुपये की सहायता राशि प्रदान कर रही है।
अपर्याप्त मैदानी अमला:
विशेष बात यह है कि विभागीय अधिकारी टीबी की रोक थाम के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की बात कह रहे हैं, परंतु जामीनी सच्चाई यह है कि टीबी जांच के लिए जिले में सिर्फ ब्लॉक मुख्यालय पर ही केंद्र खोले गए हैं। जहां इन 8 केंद्रों में 16 लैबटेक्नीशियन हैं इन्हीं में सपोर्टिंग स्टाफ भी शामिल है। जबकि मैदानी अमले की तो भारी कमी है।
टीबी रोग के लक्षण एवं उपचार-
क्षय रोग के मुख्य लक्षणों में रोगी को दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी आना, खंखार में खून आना, शाम के समय बुखार आना, रात में पसीना आना, भूख नहीं लगना एवं वजन कम होने के साथ सीने एवं पैरों में हमेशा दर्द बना रहना है। इस स्थिति में रोगी को नजदीकी जांच केंद्र में जाकर खंखार व बलगम की जांच कराना चाहिए। मंडीदीप सहित औबेदुल्लागंज एवं सुल्तानपुर में इसकी सुविधा उपलब्ध है। जहां टीबी के लक्षण पाए जाने पर नि:शुल्क टीबी का उपचार किया जाता है।
ब्लॉक में टीवी मरीजों की संख्या एक नजर में:
पिछले 3 साल में की गई जांच - 7834
जांच में मिले मरीज- 1044
पुरुष- 652
महिलाएं- 383
बच्चे - 56
वर्तमान में टीवी के मरीज - 234
पुरुष- 136
महिलाएं- 98
बच्चे -6
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