कोरोना महामारी के बीच ये तीन कहानियां आपको रखेंगी पॉजिटिव
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कोरोना महामारी के बीच ये तीन कहानियां आपको रखेंगी पॉजिटिव

 कोरोना महामारी के बीच ये तीन कहानियां आपको रखेंगी पॉजिटिव

केप्स नाद  - देश में हर आदमी कोरोना महामारी से घबराया हुआ है, ऐसे में आपको सकारात्मकता से भर देगी इन तीन कोरोना योद्धाओं की कहानी. इन्होंने कोरोना पर अपनी जीत हासिल की है.

देशभर में कोरोना नाम ही महामारी ने हर किसी को भयभीत कर दिया है. हर कोई अपनी जान को लेकर डर में है कि ना जाने कब क्या हो जाए. मगर इसी बीच देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने पॉजिटिव रहकर कोरोना पर जंग जीती है. आज हम आपको मध्य प्रदेश की ऐसी ही तीन लोगों के बारे में बताएंगे जिनके बारे में पढ़कर आपके अंदर एक सकारात्मक सोच आएगी






 दिलीप कौर 


कोरोना के बीच सकारात्मकता से भर देने वाली पहली कहानी 90 वर्षीय दिलीप कौर की है. कोरोना होने पर 12 अप्रैल को वह भानपुर स्थित एक कोविड अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुई थीं. 13 दिन चले इलाज के बाद रविवार को उन्हें अस्पताल से छुट्‌टी दे दी गई. उन्होंने बताया, ''मैंने कभी कोरोना होने की बात का तनाव नहीं लिया. परिवार वालों ने भर्ती करा दिया और आज ठीक होकर जा रही हूं तो भी कोरोना को लेकर दिल में किसी तरह का डर नहीं है.'' अस्पताल के डॉक्टर्स ने बताया कि जब उन्हें यहां लाया गया था, तब ऑक्सीजन लेवल काफी कम था.


95 प्रतिशत लंग्स इंफेक्शन के बाद भी हुईं स्वस्थ-

            

                                      जिला सहकारी बैंक मैनेजर - उषा निगम 

95 प्रतिशत लंग्स इंफेक्शन 50 दिन हॉस्पिटल में इलाज के बाद भी 62 साल की रिटायर्ड बैंक मैंनेजर ने हिम्मत नहीं हारी. अस्पताल से लौटने के बाद 25 से 30 दिन घर में भी ऑक्सीजन पर रहीं. परिवार का साथ बेटे व बहू की सेवा से वे कोरोना को मात देकर जीत गईं. 62 वर्षीय उषा निगम जिला सहकारी बैंक मैनेजर के पद पर सेनानिवृत्त हैं. उन्हें बुखार आने के बाद कोविड टेस्ट कराया गया और 20 अक्टूबर 2020 को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसके बाद उन्हें माधवनगर अस्पताल में भर्ती कराया गया. सिटी स्कैन करवाने पर लंग्स में इंफेक्शन जीरो आया. दो दिन बाद 24 अक्टूबर को हालत बिगड़ने पर माधवनगर के आईसीयू में भर्ती किया. यहां उन्हें रेमडेसिविर के 6 इंजेक्शन लगाए गए लेकिन स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ.

लगातार हालत बिगड़ने पर उन्हें 29 अक्टूबर को इंदौर अरबिंदो अस्पताल में रैफर किया गया. 30 अक्टूबर को फिर से सिटी स्कैन करवाने पर केवल 8 दिन में ही लंग्स इंफेक्शन बढ़कर 65 प्रतिशत हो गया. दूसरी कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई. 12 इंजेक्शन लग चुके थे उसके बाद भी सुधार नहीं हुआ. डॉक्टर ने कह दिया था कि मरीज का रिकवर होना मुश्किल है. परिवार के लोग तथा बेटा व बहू ने मां के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी. वे पीपीई किट पहनकर मां से मिलने गए. परिवार का साथ और महिला के हौसले के चलते कोरोना को मात दी. 12 नवंबर को रिपोर्ट निगेटिव आई. 26 नवंबर को फिर से सिटी स्कैन करवाई तो इंफेक्शन बढ़कर 95 प्रतिशत तक हो गया. 


104 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने कोरोना को दी मात-

                                          स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरदीचंद गोठी 

देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ने वाले 104 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने कोरोना से जंग जीती.  बैतूल निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरदीचंद गोठी (104) पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हुए. रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर परिजन ने उनका इलाज शुरू कराया. घर पर रहकर उनका इलाज किया गया. छिदवाड़ा और बैतूल के डॉक्टर्स ने उनका इलाज कर स्वास्थ्य में सुधार लाए. इलाज और स्वंतत्रता संग्राम सेनानी गोठी की बेहतर इच्छा शक्ति के चलते वह कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए हैं.

बिरदीचंद गोठी ने बताया, ''कोरोना संक्रमित होने के बाद डॉक्टर्स ने मेरा इलाज किया. साथ ही घर पर काम करने वाले लोगों ने सहयोग किया. मैं खुश रहा और साधा खाना खाया. इसलिए मैं कोरोना को मात दे सका.''  बिरदीचंद गोठी कहते है. आजकल का खानपान व रहन.सहन लोगों को शारीरिक रूप से कमजोर कर रहा है. इसलिए सभी को साधा जीवन और साधा व संतुलित आहार लेने की जरूरत है. दिनचर्या को बेहतर कर शारीरिक परिश्रम करें और प्रसन्न रहें. इससे हम कोरोना को हरा सकते हैं.

Source-https://bit.ly/2S8Ofw2

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