बाड़ी की मां हिंगलाज भक्तों की मनोकामना करती है पूर्ण
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बाड़ी की मां हिंगलाज भक्तों की मनोकामना करती है पूर्ण

भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं मां हिंगलाज

अभिषेक मालवीय/Editor in Chief
MP 24X7 NEWS/जिला रायसेन मध्य प्रदेश 
बाडी/नर्मदा अंचल की प्रसिद्ध धरोहर खाकी अखाड़ा राम जानकी मंदिर की गादी पर महान तपस्वी संतो की गाथाओं का गुणगान आज भी होता है । संतो ने जन कल्याण के लिए साधना कर जन जीवन की ज्योति जलाई जो आज उप शक्ति पीठहिंगलाज गढ़के रूप में विश्व प्रसिद्ध हुआ । शक्ति स्वरूप मां हिंगलाज की भक्ति और शक्ति का यह शक्ति धाम आज खाकी अखाड़ा की परिक्रमा बहुत फलदाई है । इस संबंध में साकेत वासी महंत तुलसी दास जी महाराज मनोकामना ने संतो के चमत्कार मां शक्ति की भक्ति के मन मोहक दृश्य प्रस्तुत किए । खाकी अखाड़ा की गादी पर संत भगवान दास जी महाराज विराजमान थे । उस समय बाड़ी क्षेत्र में महा बीमारी का महा प्रकोप पड़ा । नगर में हाहाकार मच गया आराध्य रोग के नगर में दस्तक से संत भगवान दास जी भी अछूते नहीं रहे । कहा जाता है जब विपदा आती है तो संत और भगवान सभी को उसका सामना करना पड़ा । यही मन में करती हैं मां हिंगलाज विचार रखकर अपने आराध्य रोग को मन रूपी आंगन में छुपा कर जन कल्याण हेतु उपाय की युक्ति में लीन हो गए । संत के उदास रहने से संत उपवन के नागा संत सेवक गाय पशु पक्षी पेड़ पौधे भी इस निराशा की झलक में आ गए । समय के लिए खाकी अखाड़ा का मधुबन मुरझाने लगा । जब इसकी भनक दूर - दूर तक पहुंची तो जन - जन खाकी अखाड़ा पावन धाम की ओर बढ़ने से अपने मां हिंगलाज कदमों को नहीं रोक पाया । काफी निवेदन अनुरोध करने के बाद संत साधना धाम से बाहर आए और उन्होंने सभी भक्त जनों से कहा कि अब मैं मां शक्ति स्वरूपा की आराधना के लिए वन गमन करूंगा फैसला सुनकर हर जन के आंखों में आंसू झलक गए । परंतु अडिग निर्णय के चलते संत की विदाई के अलावा भक्तों के पास कोई रास्ता नहीं था और संत कमंडल लेकर हाथी गेट से निकले तो पूरा क्षेत्र उनकी चरण वंदना और रजको अपने माथे पर लगा रहा था ।

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