- खेल से प्रदेश में पहचान दिलाने वाली प्रतियोगिता इस बार नहीं होगी ,
- प्रतियोगिता नहीं होने से बच्चों में निराशा,
कृष्णा पंडित मंडीदीप। स्कूल शिक्षा विभाग की खेलकूद प्रतियोगिता के बाद अब स्थानीय नगर पालिका प्रशासन द्वारा कराए जाने वाले स्कूल खेल महाकुंभ पर भी कोरोना ने ग्रहण लगा दिया है। बीते 22 सालों से खिलाडियों की प्रतिभा उभारने वाले इस खेल महाकुंभ का इस बार नपा द्वारा आयोजन नहीं किया जाएगा। इसका कारण कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी की गई गाइडलाइन को बताया जा रहा है। स्कूली बच्चों के बीच कराए जाने वाली इस प्रतियोगिता के ना होने से बच्चों में निराशा है। वे साल भर से इस प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रहे थे। प्रतियोगिता ना कराए जाने से बच्चों के साथ शहरवासियों में भी मायूसी देखी जा रही है।
ज्ञात है कि नगर पालिका द्वारा गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में जनवरी माह में शहर के स्कूली बच्चों की खेल नृत्य संगीत एवं गायन कला प्रतिभा को उभारने के लिए अंतरशालेय खेल प्रतियोगिता का आयोजन कराया जाता है। इसके माध्यम से जहां शहर के 90 से अधिक स्कूलों के करीब 3000 बच्चों को तो अपनी प्रतिभा निखारने के लिए प्लेटफार्म मिलता ही था वहीं शहरवासियों का करीब एक महीने तक मनोरंजन भी होता था। इस मंच के माध्यम से अब तक नगर के सैकड़ों खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में चयनित हो चुके हैं। वहीं लगभग 40 से ज्यादा खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं विदेशों में भी खेल चुके हैं। इससे नपा की न सिर्फ जिले में बल्कि प्रदेश में विशेष पहचान बनी है। करीब 1 महीने तक चलने वाले
इस आयोजन का लोग खेल व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भरपूर आनंद लेते थे । आयोजन पर निकाय 25 लाख रु खर्च करती थी ।
1998 में हुई थी शुरुआत:
इसकी शुरुआत वर्ष 1998 में पहले नगर पालिका अध्यक्ष विपिन भार्गव ने की थी ।वे शहर की प्रतिभाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाना चाहते थे। इसी सोच को लेकर वे जब 1998 में नगर सरकार के मुखिया बने तो सबसे पहले उन्होंने खेल प्रतिभाओं को निखारने की ठानी। वे बताते हैं कि सबसे पहले सेवा समिति ने इसकी शुरुआत की थी। लेकिन समिति के पास सीमित बजट होने के कारण बच्चों को जिस मंच की आवश्यकता थी। वो नहीं मिल पाता था। तब अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने नपा की ओर से प्रति वर्ष खेल प्रतियोगिताएं आयोजित कराने की व्यवस्था बनाई। उस समय नपा की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पहले वर्ष 40 स्कूलों ने प्रतियोगिता में भागीदारी की। इसमें करीब तीन लाख रु का खर्च आया था। जिसमें से 20 हजार नपा और बाकी 2 लाख 80 हजार रु जनसहयोग से एकत्रित कर शानदार कार्यक्रम किया गया।
लड़कियों ने लपका मौका:
विवेकानंद स्पोर्टस अकादमी के अध्यक्ष सरोज गिरी बताते हैं कि नपा के आयोजन ना कराए जाने से बच्चों में निराशा है। वे साल भर इस प्रतियोगिता के होने का इंतजार करते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता से शहर में खेल गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिला है। पहले बच्चों के लिए डिवीजन लेबल के टूर्नामेंट खेलना भी सपने जैसा था,लेकिन अब हर साल यहां के खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेलते हैं। खास बात ये है कि नपा द्वारा उपलब्ध कराए गए इस प्लेटफार्म का सबसे अधिक लाभ लड़कियां उठा रहीं हैं। यहां कि करीब 20 लड़कियां अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। वहीं इस संबंध में नपाध्यक्ष बद्री सिंह चौहान बताते हैं कि कोरोना गाइडलाइन के चलते नगरीय प्रशासन विभाग के साथ कलेक्टर की अनुमति नहीं मिली है इस कारण इस वर्ष अंतरशालेय खेल एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिता नहीं करवा पा रहे हैं।
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