अस्पताल के दरवाजे पर तोड़ा दम, न उपचार मिला न एम्बुलेंस
Type Here to Get Search Results !

अस्पताल के दरवाजे पर तोड़ा दम, न उपचार मिला न एम्बुलेंस

पीड़ित युवक को नहीं मिल सका उपचार, उदासीनता के चलते अस्पताल के मुख्य द्वार पर हुई मरीज की मौत

औबेदुल्लागंज से प्रीतम राजपूत की रिपोर्ट

रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज नगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अनियमितताओं का अड्डा बना हुआ है | उपचार में लापरवाही, एम्बुलेंस नहीं मिलना, स्टाफ का अभद्र व्यवहार जैसे अनेकों आरोप इस केंद्र पर अक्सर लगते रहते हैं पर जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता | एक बार फिर इस अस्पताल में मौजूद सरकारी महकमे के उदासीन रवैये ने एक गरीब की जान ले ली | आपको बता दें कि आवारा कुत्तों के काटने से बीमार हुए एक युवक को शुक्रवार को उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था | युवक की हालत ख़राब होने के कारण परिजन उसे अपने हाथों का सहारा देकर अस्पताल लाये थे | लेकिन परिजनों का आरोप है कि पीड़ित को अस्पताल में घुसने तक नहीं दिया गया | नाहीं कोई तात्कालिक उचित उपचार किया गया | बल्कि कोरोना की आड़ लेकर मरीज को हाथ लगाये बिना ही अस्पताल में सुविधा नहीं होने का बहना बना कर भोपाल ले जाने का बोला गया और उसे अस्पताल भवन से बाहर ही जमीन पर पड़ा छोड़ दिया गया | इसके बाद गंभीर रूप से पीड़ित रोगी युवक प्रकाश नें एक घंटे तक अस्पताल भवन के मुख्यद्वार पर परिजनों के सामने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया पर न तो उसे उपचार मिल सका और न ही एक घंटे में एम्बुलेंस आई | परिजनों का कहना है की घटना के समय एम्बुलेंस वाहन अस्पताल परिसर में मौजूद था पर जाने को तैयार नहीं हुआ |

ज्ञात हो कि ग्राम दाहोद निवासी प्रकाश पिता हीरालाल को 16 दिन पूर्व आवारा कुत्तों ने काट लिया था | तबियत बिगड़ने के बाद परिजन उसे इलाज के लिए स्वास्थ केंद्र औबेदुल्लागंज लाये थे, जहाँ स्वास्थ अधिकारियों एवं ड्यूटी स्टाफ कीलापरवाही से गरीब प्रकाश नें उपचार के आभाव में तड़प तड़प कर अपनी जान गवां दी ।

मानवता को दी तिलांजलि –

बात करने पर ड्यूटी डाक्टर सुरेश कुमार नें बताया कि उन्होंने मरीज को हाथ लगाकर देखा था फिर भोपाल रेफर कर दिया था | परन्तु यहाँ बड़ा सवाल यह उठता कि अगर अस्पताल में उपचार की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी और तुरंत एम्बुलेंस भी नहीं मिली थी तो भी एम्बुलेंस के आने तक रोगी को अस्पताल में रखकर उसकी देखभाल क्यों नहीं की गई | क्या कारण थे कि वाहन की व्यवस्था होने के पहले ही गंभीर अवस्था के रोगी को दरवाजे पर मरने के लिए अस्पताल भवन से बाहर ही छोड़ दिया गया |

तो शायद बचाई जा सकती थी जान -

यदि केंद्र पर बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होतीं, ड्यूटी डाक्टर और स्टाफ मानवता दिखाते हुए तात्कालिक प्राथमिक उपचार का प्रयास करते और शासन की मंशा के अनुरूप तत्काल एम्बुलेंस की उपलब्धता हो पाती तो शायद एक युवक को इस प्रकार जान नहीं गंवाना पड़ता और परिजनों को अपने सामने प्रकाश की मौत का यह हृदयविदारक मंजर नहीं देखना पड़ता |

कभी भी समय पर नहीं मिलती एम्बुलेंस –

औबेदुल्लागंज स्वास्थ्य केंद्र पर लगभग पिछले एक माह में गंभीर रोगियों को एम्बुलेंस नहीं मिल पाने का यह चौथा मामला सामने आया है | इसके पहले बाढ़ के समय घर में घुस आये सांप के काटने से पीड़ित महिला को एम्बुलेंस नहीं मिली थी तब एक युवा मीडियाकर्मी नें अपने वाहन से उसे तुरंत हमीदिया पहुँचाकर उसकी जान बचाई | वहीँ नगर के राय परिवार के एक युवक और रेल्वे की विद्युत् लाइन की चपेट में आये युवक को भी एम्बुलेंस नहीं मिल सकी थी | वहीँ दाहोद के इस युवक को एम्बुलेंस नहीं मिलने का अस्पताल का यह चौथा मामला सामने आया है |   

इनका कहना है - ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने उनका उपचार किया था, लेकिन हालत बिगड़ने पर उन्हें भोपाल रेफर किया गया था । - अरविंद सिंह चौहान, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर औबेदुल्लागंज

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Bhopal

4/lgrid/Bhopal
----------------NEWS Footer-------------------------------- --------------------------------CSS-------------------------- -----------------------------------------------------------------