327 आरपी रेजीमेंट के गनर भूपेंद्र बारामुला के नौगांव हरदोई सेक्टर में दुश्मनों से लोहा लेते शहीद हुए
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327 आरपी रेजीमेंट के गनर भूपेंद्र बारामुला के नौगांव हरदोई सेक्टर में दुश्मनों से लोहा लेते शहीद हुए

बारामुला में नौगांव हरदोई सेक्टर चौकी की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी सेना का सामना करते हुए शहीद हुए भूपेंद्र सिंह चौहान जिले में शहीद होने वाले 117 सेना के जवान हैं। इससे पहले कारगिल लड़ाई से लेकर 1965 और 1971 की लड़ाई में जिले के 116 सेना जवान शहीद हो चुके हैं। वहीं भूपेंद्र सिंह चौहान अब तक शहीद होने वालों में से सबसे कम उम्र के भी हैं।

जिन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में ही पाकिस्तानी सेना को मुंह तोड़ जवाब देते हुए अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर कर दिए। 327 आरपी रेजीमेंट के गनर भूपेंद्र सिंह पर शनिवार सुबह पाकिस्तान की तरफ से मोर्टार बंब फेंक कर हमला किया था। जिसमें भूपेंद्र चौहान शहीद हो गए थे। बुधवार सुबह 11 बजे सैंकड़ों बाइकों पर युवाओं के जत्थे द्वारा निकाली तिरंगा यात्रा के साथ ही सेना के जवान शहीद का पार्थिव शरीर गांव लेकर पहुंचे। जहां जब तक सूरज चांद रहेगा-भूपेंद्र चौहान तेरा नाम रहेगा, भारत माता की जय और भूपेंद्र चौहान अमर रहे के नारे गूंजते रहे। शहीद भूपेंद्र के अंतिम दर्शन के लिए सैंकड़ों लोगों की भारी भीड़ उनके मकान के बाहर सुबह 7 बजे से ही जुटी हुई थी। वहीं साढ़े 11 बजे राजकीय सम्मान के साथ शहीद भूपेंद्र सिंह को अंतिम विदाई दी गई।

पांच साल पहले हुआ था सेना में भर्ती

गांव बास के किसान मलखान सिंह के दो पुत्रों में ज्येष्ठ भूपेंद्र सिंह 26 दिसंबर 2015 को भारतीय सेना में भर्ती हुआ था। उसका जन्म तीन मार्च 1997 को हुआ था। भूपेंद्र ने गांव के ही स्कूल से दस जमा दो कक्षा तक पढ़ाई की। उसका एक ही सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर अपने देश की सेवा करे। करीब डेढ़ साल पहले भूपेंद्र का विवाह गांव झिंझर निवासी रेखा से हुआ था। भूपेंद्र और रेखा का 7 महीने का बेटा पूर्व भी है।

यूनिट टर्न ऑवर से दस दिन पूर्व ही भूपेंद्र ने दी शहादत

शहीद भूपेंद्र की यूनिट का साथी गांव मिसरी निवासी संजय कुमार ने बताया कि उनकी यूनिट को तीन साल हो गए हैं नौगांव हरदोई सेक्टर गए। तीन साल बाद यूनिट का टर्न ओवर हो जाता है। इसलिए तीन साल हमारी यूनिट को भी पूरे हो गए हैं। दस दिन बाद ही हमारी यूनिट को सुजानपुर पठानकोट भेजा जाना था। इसके लिए सभी ने तैयारी भी की हुई थी। लेकिन भूपेंद्र को शायद यूनिट टर्न ऑवर होने से पहले ही अपनी देश की मिट्टी का कर्ज चुकाने का मौका मिल गया। भूपेंद्र चौहान ने पाकिस्तानी गोली बारी का मुंह तोड़ जवाब दिया और उसने पाकिस्तान का 4 गुणा ज्यादा नुकसान कर दिया। इसलिए पाकिस्तान ने मोर्टार बंब फेंकना पड़ा। जिससे भूपेंद्र चौहान की मौके पर ही मौत हो गई। संजय कुमार ने बताया कि भूपेंद्र अक्सर उन्हें यहीं कहता था कि एक दिन अगर पाकिस्तान के साथ सीधी लड़ाई का मौका मिल जाए तो दुश्मनों के छक्के छुड़ा दूंगा।

छोटा भाई भी भर्ती के लिए एक साल से कर रहा प्रैक्टिस

शहीद भूपेंद्र चौहान का छोटा भाई दीपक कुमार ने बताया कि वह पिछले एक साल से प्रैक्टिस कर रहा है। वह अब और ज्यादा मेहनत कर सेना में भर्ती होगा। इसके बाद वह अपने भाई भूपेंद्र चौहान की मौत का बदला लेगा। दीपक ने कहा कि सेना में भर्ती होने के लिए उसका भाई भूपेंद्र उसे अक्सर प्रेरित करता रहता था। भूपेंद्र कहता था कि घर रहकर मां पिता की सेवा कर औलाद का फर्ज निभाते हैं। लेकिन सेना में भर्ती होकर हम अपनी भारत मां की सेवा करते हैं जो सबसे बड़ा धर्म है। एक फौजी के लिए देश सेवा से ऊपर कोई फर्ज नहीं होता। भूपेंद्र की बातों से प्रेरित होकर ही दीपक ने सेना में भर्ती होने का फैसला लिया था।



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बौंदकलां। शहीद हुए पोते को नमन करती दादी।


from KAPS Krishna Pandit
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