शहरी निकाय विभाग की ओर से लाेगों को भवन निर्माण को लेकर दी गई छूट का लाभ लोगों ने इस कदर उठाया कि भवन की बिल्डिंग को ऊंचा तो बहुत कर लिया लेकिन नक्शा पास कराने की जहमत नहीं उठाई। नगर निगम के कुछ अधिकारियाें की शह के चलते शहर में मौजूदा समय में यह बड़े स्तर पर हो रहा है। फिर चाहे आवासीय भवन हो या फिर कमर्शियल। ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो उसकी जिम्मेदारी सिर्फ भवन मालिक की ही नहीं, संबंधित भवन निर्माण शाखा से जुड़े निरीक्षकों की भी होगी। वहीं इस मामले में उच्च स्तर पर पहुंची शिकायतों के मद्देनजर अब शहर में 49 भवन मालिकों के खिलाफ नोटिस की तैयारी है।
नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक 2014 में करीब 350 बिल्डिंग ऐसी पाई गई थीं, जिनके निर्माण में बिल्डिंग बाई लॉज 1992 का उल्लंघन किया गया है। अब ऐसी बिल्डिंग की संख्या दो हजार के करीब पहुंच गई है। हालांकि, निगम ने काफी बिल्डिंग के मालिकों को नोटिस भी दिए, लेकिन यह नोटिस रस्म अदायगी से ज्यादा कुछ नहीं हो सकें हैं।
नियमित के लिए दर भी घटाई गई थी
अवैध व्यवसायिक निर्माण को नियमतिकरण की नीति के तहत नियमतिकरण की दर प्रति वर्ग मीटर 6090 रुपए प्रति वर्ग मीटर की गई थी। नीति के अनुसार 500 वर्ग गज तक के भवन को आवेदन करने का अवसर मिलेगा। पुनर्वास कालोनियाें में सोनीपत 12180 रुपए प्रति वर्ग मीटर में कमी कर 6090 रुपए प्रति वर्ग मीटर किया गया था।
प्रशासनिक नियमों का बनाया जा रहा मजाक
शहरी निकाय विभाग की ओर से पुनर्वास कॉलोनियां जिसमें मॉडल टाउन, चार मरला, आठ मरला आदि क्षेत्र शामिल है, यहां भी प्रशासनिक नियमों का जमकर मजाक बनाया जा रहा है। एक भवन के विभिन्न हिस्से करते हुए मालिक अपनी सुविधा अनुसार उसे बेच-खरीद रहे हैं। यह शहर में मॉडल टाउन से लेकर चार मरला एवं आठ मरला में बड़े स्तर पर हो रहा है। यहां स्थिति और भी खराब इसलिए भी है यहां वर्ष 2016 में रिहायशी भवन को व्यावसायिक भवन में बदलाव की नीति मंजूर होने के बावजूद ज्यादातर बिना कमर्शियल नक्शा पास करवाए उसे ही दुकान से लेकर अन्य व्यवसायिक गतिविधियां संचालित कर रह हैँ।
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