डीसीनिशांत कुमार यादव ने जिला के किसानों से अपील की है कि मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत धान की जगह वैकल्पिक फसल उगाएंऔर अगली पीढ़ी के लिए भू-जल बचाएं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा फसल विविधिकरण अपनाने पर किसानों को साढ़े7हजार प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का विशेष अनुदान दिया जा रहा है। इनमें से2हजार रुपए की पहली किस्त पंजीकरण के सत्यापन परतथा5हजार रुपए की दूसरी किस्त के रूप में फसल पकने पर दिया जाता है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों को भी कृषि योग्य भूमि पर धान न लगानेपर7500रुपए प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि धान की फसल से मिलने वाला धन तो पानी की तरह बह जाएगा,लेकिन धान उगाने में लगने वाला भू-जल कभी वापस नहीं आएगा। इसलिए भूमि जल के अंधाधुंध दोहन को रोकना होगा और धान की जगह कम लागत वाली फसलें जैसे मक्का,कपास,बाजरा,दलहन एवं सब्जियां तथा बागवानी की फसलें उगानी चाहिए।
उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के माध्यम से चलाई जा रही अन्य प्रोत्साहन योजनाओं व लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि सरकार द्वारा सभी वैकल्पिक फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदारी की जाएगी। सामान्य मक्का बिजाई करने वाली मशीनोंपर40प्रतिशत अनुदान,सभी अनाज मंडियों मक्का ड्रायर की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि वैकल्पिक फसलों का बीमा सरकारी खर्चे पर किया जाएगा,अनुदान राशि डीबीटी द्वारा सीधा किसान के खाते में जमाहोगी,किसान बीज अपनी पसंद की एजेंसी से खरीद सकताहै।
इसी प्रकार बागवानी विभाग के माध्यम से खरीफ फल व सब्जियों काश्त के लिए वर्तमान अनुदान राशि के अलावा7हजार रुपए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है।
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