शिक्षा विभाग ने वीरवार काे निजी व सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल्स की नब्ज टटाेली, ताकि पता लग सके कि स्कूल खाेलने काे लेकर उनके मन में क्या है। डीईओ उमा शर्मा की अध्यक्षता में प्रिंसिपल्स को एजेंडा दिया गया अाैर उसके तहत उनसे लिखित में जवाब मांगा गया। प्रिंसिपल तैयार तो दिखे, लेकिन इसकी सारी जिम्मेदारी के लिए सरकार के पाले में गेंद डाल दी।
निसा के प्रधान कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार स्कूल खोलने का फैसला ले। सरकार के हर फैसले में स्कूल वाले साथ हैं। कल कुछ हो जाए तो स्कूल वालों को दाेषी न ठहराया जाए। सरकार स्कूलों में सेनिटाइजेशन कराने की व्यवस्था करे। सहोदय के महासचिव प्रशांत मुंजाल ने कहा कि स्कूल खुलने चाहिए। बच्चों की सुरक्षा भी जरूरी है। सरकारी स्कूलों की तरह निजी स्कूलों में सेनिटाइजेशन की व्यवस्था सरकार खुद करे।
हसला, अध्यापक संघ, मास्टर एसोसिएशन, संस्कृत संघ ने कहा कि प्रत्येक कक्षा में 12 से 15 छात्र होने चाहिए। कक्षा पहली व दूसरी के बच्चों को बुलाया जाए। स्कूल गेट पर थर्मल स्कैनर, हाथ धोने के लिए साबुन, मास्क व सेनिटाइजर की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। वैकल्पिक दिनों में स्कूलों को सेनिटाइज किया जाए। प्रार्थना सभा व रिसेस न की जाए। स्वास्थ्य विभाग समय समय पर स्वास्थ्य की चेकिंग करे। बच्चों को स्कूल लाने व ले जाने की व्यवस्था अभिभावक सुनिश्चित करें। अभिभावकों की सहमति लेकर ही स्कूल खोले जाएं।
^ प्रिंसिपल, सरकारी और निजी स्कूलों की यूनियनों की तरफ से जो सुझाव आए हैं, उन्हें जल्द सरकार के पास भेज दिया जाएगा।
उमा शर्मा, डीईओ, अम्बाला।
प्राइवेट स्कूलों को ये डर
- कोई भी बच्चा पॉजिटिव निकला तो कहीं पूरा स्कूल न क्वारेंटाइन हो जाए।
- पॉजिटिव केस मिलने पर कहीं स्कूल प्रिसिंपल या स्टाफ पर एफआईआर न हो जाए जैसा इंडस्ट्री के मामले सरकार ने आदेश दिए थे।
- साथ में ये उम्मीद भी
- स्कूल खुलेंगे तो फीसें आनी शुरू होंगी और टीचर्स की सैलरी दे सकेंगे।
इन विकल्पों पर विचार कर रही है सरकार
- पहले चरण में जुलाई में10वीं से 12वीं तक कक्षाएं शुरू की जाएं।
- सोशल डिस्टेंसिंग के लिए कम बच्चे बुलाए जाएं। इसके लिए स्कूल में एक दिन में दो सेशन हो या फिर आधे बच्चों को अल्टरनेट डे में बुलाया जाए।
- दूसरे चरण में छठी से 9वीं तक और फिर प्राइमरी कक्षाओँको शुरू किया जाए।
- 7 जून तक पूरे प्रदेश से सुझाव मांगे गए हैं।
फीस के लिए सख्त कदम उठाने के पक्ष में हैं स्कूल
ज्यादातर स्कूलों में अप्रैल, मई, जून की फीस का भुगतान नहीं हुआ है। लॉकडाउन के दौरान सरकार ने फीस न दे पाने वाले अिभभावकों को राहत दी थी कि स्कूल फीस के लिए दबाव न बनाएं। बाद में सरकार ने अप्रैल-मई की फीस किस्तोंमें चुकाने का विकल्प भी दिया था। बहुत से ऐसे अभिभावक हैं जो सक्षम होने के बावजूद फीस नहीं दे रहे। प्राइवेट स्कूल अब फीस के लिए सख्त कदम उठाने के पक्ष में हैं।
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