
पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कार्डियक सर्जरी विभाग ने जींद के एक 22 वर्षीय युवक की दो भागों में विभाजित सांस लेने की मुख्य नली की सर्जरी कर उसे वापस जोड़ने की जटिल सर्जरी कर नया जीवनदान दिया है। इस सफल सर्जरी के लिए कुलपति डॉ. ओपी कालरा, कुलसचिव डॉ. एचके अग्रवाल, निदेशक डॉ. रोहताश यादव ने सर्जरी को लीड करने वाले कार्डियक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. एसएस लोहचब व अन्य विभागों की संपूर्ण टीम को बधाई दी।
डॉ. एसएस लोहचब ने बताया कि 24 मई को जींद जिले का एक युवक साइकिल पर जा रहा था, जिसे अचानक एक बैल ने गर्दन के पास जोर से टक्कर मार दी। मरीज को सांस लेने में गंभीर दिक्कत के चलते उसे पीजीआईएमएस में रेफर किया गया। डाॅक्टराें ने जांच के दौरान मरीज के गले पर काफी बड़ा घाव पाया, जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने में गंभीर दिक्कत बन रही थी। आॅक्सीजन की कमी होने से उसकी परेशानी बढ़ती जा रही थी।
कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी पीपीई किट व मास्क लगाकर की सर्जरी
डॉ. एसएस लोहचब ने बताया कि मरीज का कोरोना टेस्ट कराया गया था जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी एहतियात के तौर पर सर्जरी करने वाली टीम के सदस्यों ने पीपीई किट, एन 95 मास्क पहनने के बाद ही आपरेशन किया। सफल आपरेशन के बाद अब मरीज को चार दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। डॉ. लोहचब ने कहा कि कोरोना काल में ये पीजीआईएमएस में की जाने वाली बहुत ही जटिल शल्य चिकित्सा थी। हालांकि मरीज को कोरोना का इंफेक्शन नहीं था, जैसे कि उसकी जांच रिपोर्ट में पता चला और इस दौरान कोरोना से बचने के लिए सभी स्टाफ द्वारा पीपीई किट व एन 95 मास्क का उपयोग किया गया।
बेहोशी हालत में सांस ट्यूब लगाने से मरीज की जान को खतरा हो सकता था
डॉ. एसएस लोहचब ने बताया कि मरीज को बेहोश करने सांस ट्यूब लगाना बेहद कठिन और इससे मरीज की जान को खतरा हो सकता था, इसलिए इस ट्यूब डालने का निर्णय टाल दिया गया। डॉ. लोहचब ने बताया कि इसके बाद सभी ने निर्णय दिया कि मरीज को आर्टिफिशियल लाइफ सपोर्ट (कृत्रिम जीवन प्रणाली) पर डालकर आपरेशन किया जाए, जिसके बाद कार्डियक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने सर्जरी के लिए लोकल एनेस्थीसिया द्वारा स्पेशल कैनूला मरीज की फिमोरल आर्टरी और वेन में डाले गए और मरीज को कृत्रिम जीवन प्रणाली प्रदान करने वाली मशीन पर ले लिया गया।
चिकित्सकों की इस टीम ने किया सफल ऑपरेशन : एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. कीर्ति व डॉ. सुबधा ने मरीज को बेहोश किया और दर्द निवारक दवाएं दी। शल्य चिकित्सा विभाग के रेजिडेंट चिकित्सक डॉ. अप्रेश, डॉ. फ्रैंकलीना, डॉ. वरूण, स्टाफ नर्स रेखा, सुदेश, भागवंत, सुमन, परफ्यूनिस्ट वीरेंद्र और धर्मबीर आदि ने मरीज की सफल सर्जरी करवाने में सहयोग दिया। मरीज के विभाजित मुख्य सांस की नली को दोबारा जोड़ा गया, उसके उपरांत मरीज की सांस लेने वाली दिक्कत बिल्कुल ठीक हो गई और मरीज का श्वांस मुख्य नली द्वारा दोनों फेफड़ों में स्वचालित किया गया।
श्वास नली टूट कर एक हिस्सा छाती में धंस गया था
डॉ. एसएस लोहचब बताते हैं कि जांच में मरीज की कमर में कोई चोट नहीं मिली। मरीज की मुख्य सांस की नली दो भागों में विभाजित थी और उसका निचला हिस्सा छाती में धंस गया था, जिसकी वजह से सांस लेने में गंभीर दिक्कत थी, इसलिए मरीज को ट्रिकोस्टमी ट्यूब और एंडोट्रिक्यल ट्यूब डालना मुश्किल था। मरीज की सीटी स्कैन की रिपोर्ट में मुख्य सांस की नली दो भागों में विभाजित मिली और उसका निचले वाला हिस्सा महज दो सेंटीमीटर ही सुरक्षित था। डॉ. लोहचब ने बताया एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. सविता सैनी, ईएनटी से डॉ. आदित्य भार्गव से इस सीरियस केस पर चर्चा की क्योंकि आपरेशन के दौरान रेस्पिरेशन बनाए रखते हुए सर्जरी करना कठिन होता है।
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