श्योपुर - राज्य सरकार के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में योजनाओं का लाभ ग्रामीण अंचलों की महिलाओ को दिलाने की दिशा मंे निरंतर पहल की जा रही है। इसी दिशा में जिले के विकासखण्ड श्योपुर के ग्राम डाबरसा निवासी श्रीमती कमलेश पत्नी श्री जगदीश बैरवा आटा चक्की के व्यवसाय से तरक्की रफ्तार पकड रही है।
जिले के श्योपुर विकासखण्ड के ग्राम डाबरसा की श्रीमती कमलेश पत्नी जगदीश बैरवा 42 वर्ष की आयु में पांचवी उर्त्तीण होने के बावजूद रोजगार की दिशा में निरंतर प्रयत्न कर रही थी। साथ ही अपने पति को रोजगार दिलाने में भी इधर-उधर चर्चा कर रही थी। तभी उनके गांव में राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन के कर्मचारी पहुंचे। उनकी सलाह से श्रीमती कमलेश ने प्रारंभ में अंबेडकर समूह बनाकर गांव की महिलाओं को जोड़ने के प्रयास किए। उनके पति कम जमीन होने पर तीन बच्चों की पढ़ाई का बोझ भी सहन नहीं हो रहा था। उन्होंने खेती के कार्य में भी पति का सहयोग दिया।
ग्राम पंचायत पानड़ी के ग्राम डाबरसा की निवासी श्रीमती कमलेश बैरवा समूह की महिलाओं के साथ अपने आटा चक्की के व्यवसाय को बढ़ा रही थी। साथ ही मिशन के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाकर समूह की शक्रिय महिला के रूप में अपनी पहचान भी बना रही थी। उन्होंने मिशन से आटा चक्की के लिए ऋण लिया। उनके द्वारा लगाई गई आटा चक्की से गांव के कई परिवार आटा पिसाने के लिए आने लगे। जिससे निरंतर उनकी आय में वृद्धि होती रही।
जिले के विकासखण्ड श्योपुर के ग्राम डाबरसा निवासी श्रीमती कमलेश पत्नी जगदीश बैरवा ने बताया कि, मैं अपने तीन बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा आटा चक्की के व्यवसाय से आसानी से उठा रही हूं। साथ ही पति की खेती में भी सहारा दे रही हूं। वर्तमान में मुझे 2 लाख रूपए वार्षिक आय इस व्यवसाय से प्राप्त हो रही है। जिसके लिए मैं मप्र सरकार, जिला प्रशासन और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करती हूं।
जिले के श्योपुर विकासखण्ड के ग्राम डाबरसा की श्रीमती कमलेश पत्नी जगदीश बैरवा 42 वर्ष की आयु में पांचवी उर्त्तीण होने के बावजूद रोजगार की दिशा में निरंतर प्रयत्न कर रही थी। साथ ही अपने पति को रोजगार दिलाने में भी इधर-उधर चर्चा कर रही थी। तभी उनके गांव में राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन के कर्मचारी पहुंचे। उनकी सलाह से श्रीमती कमलेश ने प्रारंभ में अंबेडकर समूह बनाकर गांव की महिलाओं को जोड़ने के प्रयास किए। उनके पति कम जमीन होने पर तीन बच्चों की पढ़ाई का बोझ भी सहन नहीं हो रहा था। उन्होंने खेती के कार्य में भी पति का सहयोग दिया।
ग्राम पंचायत पानड़ी के ग्राम डाबरसा की निवासी श्रीमती कमलेश बैरवा समूह की महिलाओं के साथ अपने आटा चक्की के व्यवसाय को बढ़ा रही थी। साथ ही मिशन के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाकर समूह की शक्रिय महिला के रूप में अपनी पहचान भी बना रही थी। उन्होंने मिशन से आटा चक्की के लिए ऋण लिया। उनके द्वारा लगाई गई आटा चक्की से गांव के कई परिवार आटा पिसाने के लिए आने लगे। जिससे निरंतर उनकी आय में वृद्धि होती रही।
जिले के विकासखण्ड श्योपुर के ग्राम डाबरसा निवासी श्रीमती कमलेश पत्नी जगदीश बैरवा ने बताया कि, मैं अपने तीन बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा आटा चक्की के व्यवसाय से आसानी से उठा रही हूं। साथ ही पति की खेती में भी सहारा दे रही हूं। वर्तमान में मुझे 2 लाख रूपए वार्षिक आय इस व्यवसाय से प्राप्त हो रही है। जिसके लिए मैं मप्र सरकार, जिला प्रशासन और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करती हूं।
Please do not enter any spam link in the comment box.