महान तपस्वी श्री गुप्तानन्दजी महाराज का मनाया जा रहा है समाधि शताब्दी महोत्सव आज निकलेगी भव्य शोभायात्रा
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महान तपस्वी श्री गुप्तानन्दजी महाराज का मनाया जा रहा है समाधि शताब्दी महोत्सव आज निकलेगी भव्य शोभायात्रा

 


मंदसौर। मंदसौर के महान तपस्वी श्री श्री 1008 श्री दादा गुप्तानन्दजी महाराज का समाधि शताब्दी वर्ष महोत्सव नगर के शमशान घाट स्थित गुप्तानंद आश्रम विष्णुपुरी मे 1008 श्री रामजीवानन्दजी महाराज के सानिध्य में  मनाया जा रहा है। महोत्सव के अंतर्गत दिनांक 12 अगस्त 2022 से विभिन्न प्रकार के यज्ञ जिसमें अतिरूद्र, सहस्त्र चण्डी यज्ञ, महारूद्र यज्ञ आश्रम पर विश्वशांति एवं लोक कल्याणार्थ चल रहे है जिसे कई ब्राहम्ण पंडितों द्वारा संपन्न करवाया जा रहा है।  यज्ञों की पूर्णाहूति 23 अगस्त को होगी।

महोत्सव के अंतर्गत आज सोमवार 22 अगस्त को प्रातः 11.30 बजे विशाल शोभायात्रा गुप्तानंद आश्रम से निकलेगी जो नाहटा चौराहा, गांधी चौराहा, बीपीएल चौराहा होते हुए पुनः आश्रम पर पहुंचेगी जहां पर शोभायात्रा का समापन होगा। शोभायात्रा में ओम नमः शिवाय धुन मंडल, आर्कषक बैण्ड, अखाडे, मातृशक्ति, फूलो वाली तोप, रथ में गुरूजी की प्रतिमा रहेगी। वहीं महोत्सव के समापन अवसर 23 अगस्त को श्री गुप्तानंद आश्रम में विशाल भण्डारे महाप्रसादी का आयोजन किया जायेगा। श्री गुप्तानंद आश्रम भक्तगण मंडल ने नगर की धर्मप्रेमी जनता से अधिक से अधिक संख्या में सभी कार्यक्रमों में पधारने का निवेदन किया है।
श्री श्री 1008 श्री दादा गुप्तानन्दजी महाराज का संक्षिप्त जीवन परिचय
श्री श्री 1008 श्री दादा गुप्तानन्दजी महाराज मूलतः दिल्ली के रहने वाले थे। वह एक माने हुए पहलवान थे दिल्ली में उन्होने एक साथ 17 पहलवानों को हराकर हिन्द केसरी का खिताब जीता था। जब उन्होेने यह खिताब जीता तो उनके प्रशंसकों ने उन्हें कंधों पर उठा लिया और श्री गुप्तानंदजी जोर - जोर से कहने लगे मैं जीत गया मै जीत गया लेकिन वहीं खडे एक संत श्री श्री 1008 श्री रामधनजी महाराज ने उनसे कहा तू हार गया... तू हार गया.... यह शब्द श्री गुप्तानंद जी कानों में जाते ही उनका वैराग्य उत्पन्न हो गया और वे श्री रामधनजी महाराज के शिष्य बनकर सन्यासी हो गये।
कुछ समय बाद एकांत की तलाश करते हुए वे मंदसौर नगरी शिवना किनारे आ गये यहां उस समय भी शमशान हुआ करता था तो श्री गुप्तानंदजी वहीं विराजमान हो गये लेकिन वहां शव दाह करने आने वाले लोगों ने उन्हें वहां से बाहर कर दिया तब उस समय भयंकर मौत का तांडव मच गया और तीन दिनों तक शमशान की आग ठंडी नहीं हुई तब लोगों को एहसास हुआ कि यह कोई महापुरूष है तब लोगों ने उनसे आग्रह किया कि आप ये काल का मुंह बंद करंे तब श्री गुप्तानंदजी महाराज के आशीर्वाद से काल का मुंह बंद हुआ और आज से लगभग दो सौ  वर्ष पहले श्री गुप्तानंद आश्रम की स्थापना की गई। 20 अगस्त 1922 को श्री गुप्तानंदजी महाराज ने जीवित समाधि ली।
रोचक कथा है समाधि की -
श्री गुप्तानंदजी महाराज ने एक बार अपने भक्तों से पूछा कि मेरे शरीर छोडने के बाद तुम मेरा क्या करोगे तब भक्तों ने कहा कि हम आपकी चकडोल पूरे शहर मे निकालेंगे तब गुरू महाराज ने कहा कि मैं तो तब रहूंगा नहीं निकालना है तो अभी निकालोे तब सभी भक्तों ने श्री गुप्तानंदजी महाराज को पूरे नगर में घुमाया फिर वापस आश्रम आकर एक स्थान पर बैठ गये और जीवित समाधि ले ली। ऐसी मान्यता है कि पूरे विश्व में ऐसी जीवित समाधि का यह एक मात्र उदाहरण है।
27 शिष्य हुए थे श्री गुप्तानंदजी महाराज के
श्री गुप्तानंदजी के 27 शिष्य हुए थे जिसमें सर्वप्रथम श्री श्रेष्ठानंदजी महाराज, केशवानंदजी महाराज, नित्यानंदजी महाराज, चैत्यानंदजी महाराज आदि थे। इनमें श्रेष्ठानंदजी महाराज मंदसौर आश्रम पर रहे और आज वर्तमान में उनके शिष्य श्री 1008 रामजीवानन्दजी महाराज के सानिध्य में आश्रम संचालित हो रहा है। मैनपुरिया आश्रम चैत्यानंदजी महाराज के सानिध्य में प्रारंभ हुआ यह आश्रम भी इसी कुटुम्ब का हिस्सा है। आज देश भर में श्री गुप्तानंदजी महाराज के भक्त मौजूद है। श्री गुप्तानंद आश्रम में गुरू शिष्य परंपरा आज भी जारी है। आश्रम मे प्रवेश करते हुए मन में अत्यंत शीतलता उत्पन्न होती है।
यह जानकारी आश्रम के श्री 1008 श्री रामजीवानंदजी महाराज के शिष्य स्वामी नारायणानंद जी महाराज द्वारा दी गई।




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