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कोलकाता । सड़क पर ड्राइविंग करते समय पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति के ड्राइविंग लाइसेंस को सस्पेंड नहीं कर सकता है। क्योंकि उनके पास यह अधिकार नहीं है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारी को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत किसी व्यक्ति को अयोग्य घोषित करने या ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है। जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की बेंच ने प्रियशा भट्टाचार्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने उस आदेश को रद्द करने की मांग की, जिसमें कोलकाता ट्रैफिक डिपार्टमेंट के अस्सिटेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस ने उनका लाइसेंस रद्द कर दिया था।
वहीं लाइसेंस सस्पेंड करने के फैसले को सही ठहराकर राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष कहा कि, साल 2016 में एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिसमें डेप्यूटी कमिश्नर ऑफ पुलिस (ट्रैफिक) और जिले के पुलिस अधीक्षक को मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 19 के तहत यह अधिकार दिए गए थे कि अगर आवश्यक हो तब वे लापरवाह ड्राइवर के खिलाफ कर सकते हैं या उनके लाइसेंस सस्पेंड कर सकते हैं। ताकि ट्रैफिक कंट्रोल को सुनिश्चित किया जा सके।
जस्टिस भट्टाचार्य ने आदेश देकर कहा कि चूंकि ट्रैफिक पुलिस को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने का अधिकार नहीं है, इसलिए वह उस सस्पेंड या रद्द भी नहीं कर सकती। इसकारण उन्हें जब्त लाइसेंसों को मोटर वाहन विभाग को सौंपना होगा। इसके बाद संबंधित विभाग लाइसेंस पर फैसला लेगा। कोर्ट ने ट्रैफिक पुलिस को ऑर्डर दिया कि वह 2 सप्ताह में वादी प्रियाशा को ड्राइविंग लाइसेंस वापस करे। वहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भी नसीहत दी कि गाड़ी चलाते समय सावधानी का परिचय देकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं। हालांकि कोर्ट ने यह पाया कि, 2016 के इस नोटिफिकेशन के एक्ट ऑफ सेक्शन 19 में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि पश्चिम बंगाल मोटर व्हीकल रूल्स, 1989 में इस तरह के प्रावधान किए गए थे जिससे पुलिस को यह अधिकार मिले। हाईकोर्ट ने कहा कि, मोटर व्हीकल एक्ट में सिर्फ लाइसेंसिंग अथॉरिटी को यह अधिकार दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि, सहायक पुलिस आयुक्त, यातायात विभाग के पास याचिकाकर्ता के लाइसेंस को निलंबित करने की शक्ति नहीं थी। इसकारण इस आदेश को निरस्त किया जाता है।
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