न्यायालय से ओबीसी का पुराना आरक्षण बहाल हुआ-श्री पाटील
पिछडा वर्ग को आबादी के अनुपात मे आरक्षण की मंशा सरकार के पास होती तो केन्द्र से संवैधानिक संशोधन करवाते
मंदसौर। जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक श्री नवकृष्ण पाटील ने माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनः सुनवाई के माध्यम से पिछडा वर्ग हेतु पुराना आरक्षण बहाल करने के निर्णय का स्वागत करते हुये कहा कि इससे कम से कम ओबीसी वर्ग का पुरा अहित होने से बचा है। मध्यप्रदेश की शिवराजसिंह चौहान सरकार द्वारा पिछडा वर्ग को आबादी में अनुपात में माननीय कमलनाथजी द्वारा दिये 27 प्रतिशत आरक्षण को हजम नही कर पा रही थी जिसके चलते माननीय न्यायालय में जानबुझकर त्रुटीपूर्ण रिर्पोट प्रस्तुत कर ओबीसी का आरक्षण को प्रभावित करने का कार्य किया है। कांग्रेस एवं मध्यप्रदेश के पिछडा वर्ग की बहुतायत आबादी के दबाव के आगे नतमस्तक होते हुये पुनः ट्रिपल टेस्ट रिर्पोट दाखिल की किन्तु आरक्षण की तय सीमा निर्धारित होने के चलते बढे हुये आरक्षण का लाभ पिछडा वर्ग को नही मिल पाया जिसके चलते अब पुरे देश में ओबीसी को उसके आबादी के अनुपात में आरक्षण का लाभ नही मिलने का दोषी प्रदेश की शिवराज एवं केन्द्र की मोदी सरकार है।
श्री पाटील ने न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण एवं स्थानीय निकाय चुनाव के संदर्भ मे दिये गये आदेश के परिपेक्ष में कहा कि माननीय कमलनाथजी की सरकार ने मध्यप्रदेश जनगणना 2011 के अनुसार प्रदेश के 51 प्रतिशत नागरिको को उनका अधिकार देने की मंशा से ओबीसी वर्ग के साथ न्याय करते हुये 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था लेकिन प्रदेश मे सरकार जाने के उपरांत शिवराजसिंह चौहान सरकार ने ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूर्ण नही की जिसके कारण लगातार ओबीसी आरक्षण पर व्यवधान पैदा हुआ है। उन्होनें कहा कि शुरू से ही केन्द्र एवं प्रदेश की भाजपा सरकारो की मंशा आरक्षण समाप्त करने की है जिसके चलते आरएसएस एवं अन्य अनुष्ठांगिक संगठनो के दबाव में ओबीसी आरक्षण मे रोडे अटकाये गये बल्कि आरक्षण समाप्त करने की कोशिश की गयी।
श्री पाटील ने कहा कि मध्यप्रदेश के संदभ मे आये इस फैसले का असर पुरे देश में पिछडा वर्ग की संभावनाओं पर पढेगा। पुराना आरक्षण आबादी के अनुपात में कम था जिसे सभी स्वीकार करते है लेकिन ओबीसी आरक्षण के मामले में भाजपा सिर्फ झूठा श्रेय ले रही है, अगर सही मायने में वे अगर भाजपा ओबीसी वर्ग की हितेशी है तो वह संवेधानिक संशोधन लाकर बढे हुये आरक्षण का लाभ पिछडा वर्ग को दिलवाती। न्यायालय के आदेश के तहत सिर्फ पचास प्रतिशत दायरे में ही आरक्षण का लाभ ओबीसी को मिल पायेगा।
पिछडा वर्ग को आबादी के अनुपात मे आरक्षण की मंशा सरकार के पास होती तो केन्द्र से संवैधानिक संशोधन करवाते
मंदसौर। जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक श्री नवकृष्ण पाटील ने माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनः सुनवाई के माध्यम से पिछडा वर्ग हेतु पुराना आरक्षण बहाल करने के निर्णय का स्वागत करते हुये कहा कि इससे कम से कम ओबीसी वर्ग का पुरा अहित होने से बचा है। मध्यप्रदेश की शिवराजसिंह चौहान सरकार द्वारा पिछडा वर्ग को आबादी में अनुपात में माननीय कमलनाथजी द्वारा दिये 27 प्रतिशत आरक्षण को हजम नही कर पा रही थी जिसके चलते माननीय न्यायालय में जानबुझकर त्रुटीपूर्ण रिर्पोट प्रस्तुत कर ओबीसी का आरक्षण को प्रभावित करने का कार्य किया है। कांग्रेस एवं मध्यप्रदेश के पिछडा वर्ग की बहुतायत आबादी के दबाव के आगे नतमस्तक होते हुये पुनः ट्रिपल टेस्ट रिर्पोट दाखिल की किन्तु आरक्षण की तय सीमा निर्धारित होने के चलते बढे हुये आरक्षण का लाभ पिछडा वर्ग को नही मिल पाया जिसके चलते अब पुरे देश में ओबीसी को उसके आबादी के अनुपात में आरक्षण का लाभ नही मिलने का दोषी प्रदेश की शिवराज एवं केन्द्र की मोदी सरकार है।
श्री पाटील ने न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण एवं स्थानीय निकाय चुनाव के संदर्भ मे दिये गये आदेश के परिपेक्ष में कहा कि माननीय कमलनाथजी की सरकार ने मध्यप्रदेश जनगणना 2011 के अनुसार प्रदेश के 51 प्रतिशत नागरिको को उनका अधिकार देने की मंशा से ओबीसी वर्ग के साथ न्याय करते हुये 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था लेकिन प्रदेश मे सरकार जाने के उपरांत शिवराजसिंह चौहान सरकार ने ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूर्ण नही की जिसके कारण लगातार ओबीसी आरक्षण पर व्यवधान पैदा हुआ है। उन्होनें कहा कि शुरू से ही केन्द्र एवं प्रदेश की भाजपा सरकारो की मंशा आरक्षण समाप्त करने की है जिसके चलते आरएसएस एवं अन्य अनुष्ठांगिक संगठनो के दबाव में ओबीसी आरक्षण मे रोडे अटकाये गये बल्कि आरक्षण समाप्त करने की कोशिश की गयी।
श्री पाटील ने कहा कि मध्यप्रदेश के संदभ मे आये इस फैसले का असर पुरे देश में पिछडा वर्ग की संभावनाओं पर पढेगा। पुराना आरक्षण आबादी के अनुपात में कम था जिसे सभी स्वीकार करते है लेकिन ओबीसी आरक्षण के मामले में भाजपा सिर्फ झूठा श्रेय ले रही है, अगर सही मायने में वे अगर भाजपा ओबीसी वर्ग की हितेशी है तो वह संवेधानिक संशोधन लाकर बढे हुये आरक्षण का लाभ पिछडा वर्ग को दिलवाती। न्यायालय के आदेश के तहत सिर्फ पचास प्रतिशत दायरे में ही आरक्षण का लाभ ओबीसी को मिल पायेगा।
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