जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन एवं सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरबी गोयल ने बताया कि एनिमिया (खून की कमी) इसकी सही समय पर पहचाना नहीं हो एवं पाये तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते है। शारीरिक विकास में बाधा गंभीर रोग हो सकते है गर्भावस्था में तो एनिमिया के कारण गर्भवती की जान का जोखिम भी हो सकता है इसलिए सही समय पर खून की जांच करायें और उसका उपचार करायें।
गर्भवती मातांए अपनी हीमोग्लोबिन जांच के साथ-साथ खान-पान का विशेष ध्यान रखें और गर्भावस्था के दौरान एनिमिया होने पर महिलाओं को विशेष सावधानी बरतें। यदि किसी महिला में खून की कमी है तो उसे आयरन की गोली दी जाती है गर्भवती महिला को समय से खाना खाना चाहिए और साथ में फल, हरी सब्जियां, दालें व पोषक तत्व युक्त आहार लेना चाहिए जिससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहे। एनिमिया की पहचान हीमोग्लोबिन लेबल जांच करने के बाद की जाती है इसे तीन भागों में बाटा गया है। हीमोग्लोबिन लेबल 12 ग्राम से ज्यादा है तो एनिमिया नहीं माना जाता। हीमोग्लोबिन 07 से 10 ग्राम है तो उसे मोडरेट एनिमिया कहते है जिसे खान-पान और आयरन की गोली द्वारा ठीक किया जा सकता है। अगर हीमोग्लोबिन 07 ग्राम से नीचे है उसे सीवियर एनिमिया माना जाता है जिसकी जांच कर उपचार कराना आवश्यक है यह जांच सभी शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र में निशुल्क उपलब्ध है।
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