
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के वैज्ञानिक अब लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर मक्के की विभिन्न प्रजातियों से एथेनाल बनाने की तकनीक विकसित करेंगे। गुरुवार को दोनों संस्थानों के बीच सहमति के बाद विभिन्न तकनीक पर वार्ता भी हुई। यह परियोजना केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से स्वीकृत की गई है और यही संस्थान जरूरी बजट उपलब्ध कराएगा।एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेन्द्र मोहन ने बताया कि भारत सरकार एथेनाल उत्पादन के लिए चीनी मिलों से प्राप्त शीरे और अन्य स्टाक के अलावा चावल और मक्के से भी एथेनाल इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। यह इकाइयां विभिन्न राज्यों में स्थापित की जाएंगी। उन राज्यों में जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए यह जरूरी है कि मक्के की ऐसी प्रजातियां विकसित की जाएं, जिनसे पैदावार ज्यादा हो और अधिक एथेनाल का उत्पादन किया जा सके। यह किसानों और एथेनाल उत्पादन इकाइयों के लिए लाभदायक होगा।
Please do not enter any spam link in the comment box.