किसानों से नरवाई में आग नहीं लगाने की अपील
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किसानों से नरवाई में आग नहीं लगाने की अपील






किसानों से नरवाई में आग नहीं लगाने की अपील

रायसेन, 07 अप्रैल 2022
जिले में प्रायः देखने में आ रहा है कि किसानों द्वारा गेंहू फसल कटाई के पश्चात अगली फसल के लिए खेत की तैयारी हेतु अपनी सुविधा के लिए नरवाई में आग लगा देते है। जिससे कभी-कभी आग व्यापक रूप लेकर भारी जन एवं धन की हानि कारण बन जाती है। उप संचालक कृषि श्री एनपी सुमन द्वारा किसानों से खेत में नरवाई नहीं जलाने की अपील की गई है। नरवाई जलाने से वातावरण में प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। आग लगने से कई बार घरों एवं गांव में आग लगने की संभावना बनी रहती है तथा खेतों की मेड़ों पर लगे पेड़-पौधों आदि को नुकसान पहुंचता है।
एक एकड गेंहू फसल से लगभग 9 से 10 क्विंटल भूसा प्राप्त होता है जिसका वर्तमान में बाजार भाव 300 प्रति क्विंटल है। भूसे के महत्व को जन-जन में प्रस्तारित किए जाने की आवश्यकता है कि नरवाई का भूसा 2-3 माह बाद आज से दुगनी दरों पर बिकता है। पशुपालकों को यही भूसा बाजार में मंहगी दरों पर खरीदना पडता है। एक हेक्टेयर खेत की नरवाई में लगभग 25 क्विंटल भूसा प्राप्त होता है जिसकी कीमत होती है। इसके अतिरिक्त अगली फसल हेतु खेत तैयार करने में रोटावेटर मशीन का उपयोग किया जा सकता है। रोटावेटर मशीन द्वारा खेत को तैयार करते समय फसल अवशेष को बारीक टुकड़ों में काटकर मिट्टी में मिला दिया जाता है। इस प्रकार खेत में फसल अवशेष सड़ना प्रारंभ कर देते हैं तथा लगभग एक माह में आगे बोई जाने वाली फसल को पोषक तत्व दान करते हैं।
 
नरवाई में आग लगाने से होने वाले नुकसान

नरवाई में आग लगाने से मृदा में उपस्थित लाभप्रद सूक्ष्म जीवाणु एवं केंचुए नष्ट हो जाते हैं। साथ ही क्षेत्रीय प्राकृतिक जैव विविधता, जीव जन्तुओं एवं वनस्पति भी नष्ट होती है। खेत में पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीव जैसे नाइट्रोसोमेनास, नाइट्रोबेक्टर एजेटोवैक्टर, बेसिलस, माइकोराइजा, फास्फोरस सोल्बुलाईजिंग बैक्टेरिया जो कि पौधो फसल को पोषक तत्व उपलब्ध कराते है। जिनके नष्ट होने पर रासायनिक उर्वरको द्वारा देय पोषक तत्व भी पौधो को प्राप्त नहीं हो पाते अंततः भूमि बंजर हो जाती है।
एक टन गेंहू नरवाई में 374 किग्रा कार्बन 9.97 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 281 कि.ग्रा. फास्फोरस 3.58 कि.ग्रा. पोटाश एवं लगभग 1 कि.ग्रा. सल्फर रू. 985 मूल्य के पोषक तत्व होते है जो कि आग लगने पर 90-100 प्रतिशत तक नष्ट हो जाते है। जिससे लगभग 2432.95 रू प्रति हेक्टैयर केवल मुख्य पोषक तत्वों की हानि होती है अन्य सूक्ष्यम पोषक तत्व एवं जीवाश्म लगभग 3000 हजार रू प्रति हेक्टेयर तक की हानि होती है।
रायसेन, 07 अप्रैल 2022
जिले में प्रायः देखने में आ रहा है कि किसानों द्वारा गेंहू फसल कटाई के पश्चात अगली फसल के लिए खेत की तैयारी हेतु अपनी सुविधा के लिए नरवाई में आग लगा देते है। जिससे कभी-कभी आग व्यापक रूप लेकर भारी जन एवं धन की हानि कारण बन जाती है। उप संचालक कृषि श्री एनपी सुमन द्वारा किसानों से खेत में नरवाई नहीं जलाने की अपील की गई है। नरवाई जलाने से वातावरण में प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। आग लगने से कई बार घरों एवं गांव में आग लगने की संभावना बनी रहती है तथा खेतों की मेड़ों पर लगे पेड़-पौधों आदि को नुकसान पहुंचता है।
एक एकड गेंहू फसल से लगभग 9 से 10 क्विंटल भूसा प्राप्त होता है जिसका वर्तमान में बाजार भाव 300 प्रति क्विंटल है। भूसे के महत्व को जन-जन में प्रस्तारित किए जाने की आवश्यकता है कि नरवाई का भूसा 2-3 माह बाद आज से दुगनी दरों पर बिकता है। पशुपालकों को यही भूसा बाजार में मंहगी दरों पर खरीदना पडता है। एक हेक्टेयर खेत की नरवाई में लगभग 25 क्विंटल भूसा प्राप्त होता है जिसकी कीमत होती है। इसके अतिरिक्त अगली फसल हेतु खेत तैयार करने में रोटावेटर मशीन का उपयोग किया जा सकता है। रोटावेटर मशीन द्वारा खेत को तैयार करते समय फसल अवशेष को बारीक टुकड़ों में काटकर मिट्टी में मिला दिया जाता है। इस प्रकार खेत में फसल अवशेष सड़ना प्रारंभ कर देते हैं तथा लगभग एक माह में आगे बोई जाने वाली फसल को पोषक तत्व दान करते हैं।
 
नरवाई में आग लगाने से होने वाले नुकसान

नरवाई में आग लगाने से मृदा में उपस्थित लाभप्रद सूक्ष्म जीवाणु एवं केंचुए नष्ट हो जाते हैं। साथ ही क्षेत्रीय प्राकृतिक जैव विविधता, जीव जन्तुओं एवं वनस्पति भी नष्ट होती है। खेत में पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीव जैसे नाइट्रोसोमेनास, नाइट्रोबेक्टर एजेटोवैक्टर, बेसिलस, माइकोराइजा, फास्फोरस सोल्बुलाईजिंग बैक्टेरिया जो कि पौधो फसल को पोषक तत्व उपलब्ध कराते है। जिनके नष्ट होने पर रासायनिक उर्वरको द्वारा देय पोषक तत्व भी पौधो को प्राप्त नहीं हो पाते अंततः भूमि बंजर हो जाती है।
एक टन गेंहू नरवाई में 374 किग्रा कार्बन 9.97 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 281 कि.ग्रा. फास्फोरस 3.58 कि.ग्रा. पोटाश एवं लगभग 1 कि.ग्रा. सल्फर रू. 985 मूल्य के पोषक तत्व होते है जो कि आग लगने पर 90-100 प्रतिशत तक नष्ट हो जाते है। जिससे लगभग 2432.95 रू प्रति हेक्टैयर केवल मुख्य पोषक तत्वों की हानि होती है अन्य सूक्ष्यम पोषक तत्व एवं जीवाश्म लगभग 3000 हजार रू प्रति हेक्टेयर तक की हानि होती है।


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