अनुयोग अस्पताल में स्ट्रेचर पर आया मरीजसिर्फ पांच दिन में पैरों पर चलकर घर पहुंचा
दिमागी सुंतलन खोने के साथ लकवे की भी थी शिकायत
मंदसौर। अनुयोग अस्पताल के चिकित्सकों ने एक बार फिर अपने अनुभवों और प्रतिभा को साबित कर दिया। चोट लगने के कारण एक बुजुर्ग मरीज दिमागी संतुलन खोने के साथ ही लकवे की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा। याददाश्त गवा चुके मरीज को उसके परिजन लगभग एक सप्ताह बाद अस्पताल लेकर पहुंचे। देरी के साथ ही मरीज के सिर में गंभीर चोट, अस्पताल के चिकित्सकों के लिए चुनौती थी। लेकिन डॉ मिलेश नागर और डॉ देवेंद्र कोठारी की टीम ने इस चुनौती को स्वीकार किया। पौने दो घंटे के ऑपरेशन के बाद तेजी से मरीज की स्थिति में सुधार होने लगा और देखते ही देखते पांचवे दिन मरीज बिल्कुल ठीक होकर अपने पैरों पर घर वापिस लौटा। परिजन खुद विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि महज पांच दिन में मरीज ठीक होकर खुद के पैरों पर घर लौट रहा है।
मंदसौर। अनुयोग अस्पताल के चिकित्सकों ने एक बार फिर अपने अनुभवों और प्रतिभा को साबित कर दिया। चोट लगने के कारण एक बुजुर्ग मरीज दिमागी संतुलन खोने के साथ ही लकवे की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा। याददाश्त गवा चुके मरीज को उसके परिजन लगभग एक सप्ताह बाद अस्पताल लेकर पहुंचे। देरी के साथ ही मरीज के सिर में गंभीर चोट, अस्पताल के चिकित्सकों के लिए चुनौती थी। लेकिन डॉ मिलेश नागर और डॉ देवेंद्र कोठारी की टीम ने इस चुनौती को स्वीकार किया। पौने दो घंटे के ऑपरेशन के बाद तेजी से मरीज की स्थिति में सुधार होने लगा और देखते ही देखते पांचवे दिन मरीज बिल्कुल ठीक होकर अपने पैरों पर घर वापिस लौटा। परिजन खुद विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि महज पांच दिन में मरीज ठीक होकर खुद के पैरों पर घर लौट रहा है।
घटना रतलाम जिले के माउता गांव की है। जहां २८ मार्च को बुजुर्ग नरसिंह प्रजापत अपने घर पर गिर गए। गिरने के बाद उनके सिर पर गंभीर चोट आई। चोट अंदरुनी होने के साथ ही इतनी गंभीर थी कि वह अपनी याददाश्त ही खो चुके थे। न बेटे को पहचान पा रहे थे और न ही घर के किसी अन्य सदस्य को। उनके बेटे रणछोड़ प्रजापत ने बताया कि पिता का दिमागी संतुलन इतना बिगड़ चुका था कि अल सुबह बिना बताए वह खेत पर निकल गए। स्थिति यह हो गई थी कि सोने के बाद उन्हें उठाना मुश्किल हो रहा था। पांच और छह अप्रैल को तबीयत और ज्यादा बिगडऩे लगी। आखिरकार परिजनों ने नरसिंह प्रजापत को डॉ देवेंद्र कोठारी के अनुयोग अस्पताल ले जाने का फैसला किया। छह अप्रैल को उन्हें अस्पताल लाया गया। यहां जांच के दूसरे दिन सात अप्रैल को ऑपरेशन किया गया। डॉ मिलेश नागर और उनकी टीम ने लगभग पौने दो घंटे की सर्जरी की। डॉ मिलेश नागर ने बताया कि ऑपरेशन एक चुनौती था। मरीज देरी से लाया गया था। वहीं उसे हार्ट की प्राब्लम भी थी। मरीज के हाथ पैर ने काम करना बंद कर दिया था। लगभग लकवे की शिकायत उसे हो गई थी। दिमाग में खून भर गया था। दिमाग में से खून के थक्के निकालने की जरुरत थी। इसके लिए होल बे्रन सर्जरी की गई। जिसमें ढाई सेमी के छेद से खून के थक्के निकाले गए। पौने दो घंटे तक ऑपरेशन चला। ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा। मरीज के बेटे रणछोड़ प्रजापत ने बताया कि ऑपरेशन के दूसरे ही दिन पिता की याददाश्त वापिस आ गई। इसके साथ ही हाथ पैरों ने भी काम करना शुरु कर दिया। मंगलवार 12 अप्रैल को मरीज नरसिंह प्रजापत पूरी तरह से ठीक हो गए। चिकित्सकों ने पूरी तरह से जांच पड़ताल कर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। स्ट्रेचर पर आए नरसिंह खुद के पैरों से अस्पताल के बाहर खड़े वाहन में जाकर बैठे। डॉ नागर और डॉ कोठारी को परिजनों ने धन्यवाद दिया।
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