जल संरक्षण को लेकर पीएम मोदी गंभीर, बोले- अमृत महोत्‍सव में 75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे
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जल संरक्षण को लेकर पीएम मोदी गंभीर, बोले- अमृत महोत्‍सव में 75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे

जल संरक्षण को लेकर पीएम मोदी गंभीर, बोले- अमृत महोत्‍सव में 75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे

नई दिल्ली । जल संरक्षमण लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काफी गंभीर है। आज मन की बात कार्यक्रम के 88वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि देश अमृत महोत्‍सव मना रहा है जिसमें 75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे। उन्‍होंने कहा कि इस पर काम शुरू हो चुका है। उन्‍होंने प्रधानमंत्री संग्रहालय का जिक्र किया। उन्‍होंने कहा कि ये संग्रहालय लोगों को कई तरह की नई जानकारी देता है। उन्‍होंने कहा कि देश के पूर्व पीएम की जानकारी के लिए ये समय बेहद अनुकूल है क्‍योंकि हम आजादी का महोत्‍सव मना रहे हैं। उन्‍होंने लोगों से कुछ सवाल भी किए और कहा कि इनके जवाब नमो ऐप पर जरूर दें। उन्‍होंने कहा कि देखते हैं आपको अपने देश के बारे में कितनी जानकारी है। उन्‍होंने डाक टिकट से जुड़े देश में मौजूद म्‍यूजियम और रेल म्‍यूजियम के बारे में भी सवाल किया जहां पर इनकी पूरी जानकारी देखने को मिलती है। पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले दिनों में जब कोई भी म्‍यूजियम देखने जाए तो उसको देशवासियों से साझा करें। पीएम मोदी ने इस दौरान सागरिका और प्रेक्षा का जिक्र किया जिन्‍होंने हर चीज का लेनदेन का डिजिटल तरीके से किया। उन्‍होंने कहा कि दिल्‍ली में उन्‍हें हर जगह इसकी सुविधा मिली। उन्‍होंने आनंदिता का भी जिक्र किया जो गाजियाबाद की रहने वाली हैं। आनंदिता ने उत्‍तर पूर्व की यात्रा का जिक्र पीएम मोदी से किया और डिजिटल तरीके से पेमेंट करने की जानकारी दी। इसलिए कैशलेस होने की तरफ आगे बढ़ें। 
पीएम मोदी ने भीम यूपीआई का जिक्र करते हुए लोगों को इसकी तरफ बढ़ने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि इसके लिए आपको पैसे जेब में रखने की कोई जरूरत नहीं है। इसकी वजह से देश में बड़ी डिजिटल इकनामी तैयार हुई है। इस दौरान 20 लाख करोड़ तक का डिजिटल लेनदेन हुआ है। उन्‍होंने इस दिशा में लोगों से अपने अनुभव को साझा करने की भी अपील की। उन्‍होंने दिव्‍यांगों की एक आर्ट गैलरी का जिक्र किया और कहा कि उनकी बनाई पेंटिंग्‍स में कई तरह के विषयों को छुआ गया है। उन्‍होंने कहा‍ कि यदि आप ऐसे किसी दिव्‍यांग को जानते हैं उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए काम करें। इस कार्यक्रम में उन्‍होंने पानी की उपयोगिता और उसकी कमी का भी जिक्र किया। 
उन्‍होंने इस दौरान रामपुर की एक ग्राम पंचायत का जिक्र करते हुए कहा कि वहां पर गंदगी से पटे एक तालाब को फिर से सही किया गया है। उन्‍होंने पानी बचाने पर अधिक जोर दिया और कहा कि ये हम सभी का दायित्‍व है कि हम इसको संजो रखेंगे। सिंधु और हड़प्‍पा संस्‍कृति का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि उस वक्‍त जल संरक्षण को लेकर जागरुकता काफी अधिक थी। लेकिन आज ऐसा नहीं है। इसलिए जल संरक्षण से जुड़े और अपने जिले की पहचान बनें। उन्‍होंने मध्‍य प्रदेश की भील जनजाति का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी हलना पद्धति के जरिए न सिर्फ जल संरक्षण सुनिश्चित हुआ है बल्कि जल का लेवल भी बढ़ा है। पीएम मोदी ने इस दौरान परीक्षा पर भी चर्चा की। उन्‍होंने इसमें गणित का जिक्र करते हुए शून्‍य की खोज का जिक्र किया। उन्‍होंने कहा कि यदि हमनें जीरो की खोज न की होती तो आज कुछ नहीं होता। सभी में इसका योगदान है। उन्‍होंने कहा कि ब्रह्मांड से जुड़ी हर चीज गणित से जुड़ी है। इस दौरान उन्‍होंने कहा कि भारत के वेदों में लिखित श्‍लोक का भी जिक्र किया जिसमें सदियों पहले मिलियन और बिलियन से कहीं आगे का जिक्र किया गया है। 
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ समय पहले इंटेल के सीईओ का जिक्र भी किया। उन्‍होंने कहा कि भारतीयों के लिए गणित कभी भी मुश्किल नहीं रहा। उन्‍होंने वेदिक गणित का जिक्र करते हुए कहा कि इसके जरिए लंबी गणनाएं भी चुटकी में की जा सकती है। उन्‍होंने कोलकाता के गौरव का जिक्र किया, जो वेदिक गणित पर काफी काम कर चुके हैं। वो बीस वर्षों से इस काम में लगे हैं। वो स्‍कूलों में जाकर और आनलाइन के जरिए इसको आमजन तक पहुंचा रहे हैं। पीएम मोदी ने वैदिक गणित को अपनाने और सीखने की अपील की। उन्‍होंने कहा कि इससे ब्रेन की पावर भी बढ़ेगी। कार्यक्रम के अंत में उन्‍होंने कोरोना से बचाव के तरीके अपनाते रहने का भी जिक्र लोगों से किया। ज्ञात हो कि मन की बात प्रधानमंत्री का मासिक रेडियो संबोधन है, जो हर महीने के आखिरी रविवार को सुबह 11 बजे प्रसारित होता है। मन की बात का पहला एपिसोड 3 अक्टूबर 2014 को प्रसारित किया गया था। पीएम मोदी ने लोगों से कई सवाल पूछे।

पहला सवाल है कि 'क्या आप जानते हैं कि देश के किस शहर में एक प्रसिद्ध रेल म्यूजियम है, जहां पिछले 45 वषों से लोगो को भारतीय रेल की विरासत देखने का मौका मिल रहा है?'

 

पीएम का दूसरा सवाल: क्या आप जानते हैं कि मुंबई में वो कौन सा म्यूजियम है, जहां हमें बहुत ही रोचक तरीके से करेंसी का इवॉल्‍यूशन देखने को मिलता है? यहां ईसा पूर्व छठी शताब्दी के सिक्के मौजूद हैं तो दूसरी तरफ ई-मनी भी मौजूद है।

पीएम का तीसरा सवाल ‘विरासत-ए-खालसा’ इस म्यूजियम से जुड़ा है। क्या आप जानते हैं, ये म्यूजियम, पंजाब के किस शहर में मौजूद है?

पीएम का चौथा सवाल: पतंगबाजी में तो आप सबको बहुत आनंद आता ही होगा, अगला सवाल इसी से जुड़ा है। देश का एकमात्र काइट म्‍यूजियम कहां है?

पीएम का 5वां सवाल: बचपन में डाक टिकटों के संग्रह का शौक किसे नहीं होता! लेकिन, क्या आपको पता है कि भारत में डाक टिकट से जुड़ा नेशनल म्यूजियम 

पीएम का छठा सवाल: गुलशन महल नाम की इमारत में कौन सा म्यूजियम है? आपके लिए क्‍लू ये है कि इस म्यूजियम में आप फिल्म के डायरेक्टर भी बन सकते हैं, कैमरा, एडिटिंग की बारीकियों को भी देख सकते हैं।
पीएम का सातवां सवाल: क्या आप ऐसे किसी म्यूजियम के बारे में जानते हैं जो भारत की टेक्‍सटाइल से जुड़ी विरासत को सेलिब्रेट करता है?

पीएम का सातवां सवाल: क्या आप ऐसे किसी म्यूजियम के बारे में जानते हैं जो भारत की टेक्‍सटाइल से जुड़ी विरासत को सेलिब्रेट करता है?

पीएम मोदी ने कहा कि 'अब ऐसा नहीं है कि यूपीआई का प्रसार केवल दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित है! अब तो छोटे-छोटे शहरों में और ज्यादातर गांवों में भी लोग यूपीआई से ही लेन-देन कर रहे हैं! डिजिटल इकॉनमी से देश में एक कल्‍चर भी पैदा हो रहा है!'
पीएम मोदी ने कहा, 'देश आजकल लगातार संसाधनों और इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। देश में ऐसे कई स्‍टार्ट-अप्‍स और संगठन भी हैं जो इस दिशा में प्रेरणादायी काम कर रहे हैं। ऐसी ही एक संस्था है- वाइस ऑफ स्पेशली एबल्ड पीपुल।  आप भी अगर किसी दिव्यांग साथी को जानते हैं, उनके टैलेंट को जानते हैं, तो डिजिटल टेक्‍नोलॉजी की मदद से उसे दुनिया के सामने ला सकते हैं। जो दिव्यांग साथी हैं, वो भी इस तरह के प्रयासों से जरुर जुड़ें।'


पीएम मोदी ने आगे कहा, 'देश के ज़्यादातर हिस्सों में गर्मी बहुत तेजी से बढ़ रही है। बढ़ती हुई ये गर्मी, पानी बचाने की हमारी ज़िम्मेदारी को भी उतना ही बढ़ा देती है। हो सकता है कि आप अभी जहां हों, वहां पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। लेकिन, आपको उन करोड़ों लोगों को भी हमेशा याद रखना है, जो जल संकट वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जिनके लिए पानी की एक-एक बूंद अमृत के समान होती है। साथियों, इस समय आजादी के 75वें साल में, आजादी के अमृत महोत्सव में, देश जिन संकल्पों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उनमें जल संरक्षण भी एक है।






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