भोपाल । बिजली कंपनी और आउटसोर्स कर्मचारियों के बीच बोनस की राशि को लेकर विवाद गहरा गया है। इसकी वजह हाल ही में ऊर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर द्वारा 7000 रुपये बोनस दिए जाने की घोषणा करना है। आउटसोर्स बिजली कर्मियों का कहना है कि 12330 रुपये बोनस दिए जाने के प्रविधान तो पूर्व से है। इनमें कोई नई बात नहीं है। इस एक्ट में सात हजार रुपये तो सबसे न्यूनतम है। मध्य प्रदेश आउटसोर्स बिजली कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव का कहना है कि बोनस की राशि पर कर्मचारियों का हक होता है। यही बोनस बिजली कंपनियां और आउटसोर्स कंपनियां मिलकर रोक रही है। ऐसे समय में ऊर्जा मंत्री द्वारा 7000 रुपये हर वर्ष बोनस देने की बात करना आउटसोर्स कर्मचारियों के हित में नहीं है। मनोज भार्गव का कहना है कि ऊर्जा मंत्री को एक बार बोनस एक्ट का अध्ययन करना चाहिए।
नौ महीने से बोनस को लेकर चल रहा है विवाद
बिजली कंपनी और आउटसोर्स बिजली कर्मचारियों के बीच बोनस की राशि को लेकर पिछले नौ महीने से विवाद चल रहा है। इस विवाद का अंत भी नहीं हुआ था कि इसके पहले बोनस पर नया विवाद शुरू हो गया है। ऊर्जा मंत्री की घोषणा के बाद इसकी शुरुआत हुई है ऊर्जा मंत्री ने दो दिन पहले 7000 रुपये बोनस दिए जाने की घोषणा की थी जबकि पिछले नौ महीने से मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के 10000 में से 7000 कर्मचारियों को समय पर बोनस की राशि नहीं दी जा रही है। हजारों कर्मचारी बोनस के रोके गए ढाई करोड़ रुपए मांग रहे हैं लेकिन कंपनी यह राशि का भुगतान नहीं करवा पा रही है।
बिजली कंपनी ने 7 आउटसोर्स कंपनियों को हटाया
मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने बोनस मामले में विवाद होने के बाद सात आउटसोर्स कंपनियों को हटा दिया है। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने आउटसोर्स कर्मचारियों का बोनस का भुगतान नहीं किया है जो कि टेंडर शर्तों का उल्लंघन है। वहीं इनमें से कई कंपनियों के प्रमुखों ने कोर्ट की शरण ली है और बताया है कि बोनस की राशि का भुगतान प्रिंसिपल कंपनी को करना होता है जोकि मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी है जो बोनस की राशि नहीं दे रही है इसलिए आउटसोर्स कंपनियां कर्मचारियों को बोनस का भुगतान नहीं कर पाई है।
अधिकारियों पर अब तक कार्यवाही नहीं
बिजली कंपनियों में आउटसोर्स कर्मचारियों की आपूर्ति का काम आउटसोर्स कंपनियों को दिया है। सभी वृत्त स्तर पर अलग-अलग आउटसोर्स एजेंसियों से बिजली कंपनी यह सेवा ले रही है। इन आउटसोर्स कंपनियों के अनुबंध अप्रैल 2021 से हुए हैं। इसके पूर्व में पुराने अनुबंध के तहत आउटसोर्स कंपनियां काम करती थी। एक अप्रैल 2021 के बाद जिन आउटसोर्स कंपनियों से अनुबंध हुए हैं उनकी अनुबंध शर्तों में बिजली कंपनी के कुछ अधिकारियों ने गड़बड़ी कर दी थी जिसके कारण बोनस देने की जिम्मेदारी उनकी नहीं बन रही है। यह दावा आउटसोर्स कंपनियां बार-बार करती आ रही हैं लेकिन बिजली कंपनी इन दावों को मानने से इंकार कर रही है और यही वजह है कि मध्य प्रदेश के हजारों आउटसोर्स बिजली कर्मचारियों को बोनस की राशि नहीं दी गई है। वही इस बीच पशुपालन ऊर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर द्वारा 7000 बोनस देने से विवाद गहरा गया है क्योंकि आउटसोर्स बिजली कर्मी पहले से बोनस नहीं मिलने और कम बोनस दिए जाने को लेकर नाराज है।
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