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बारिश में बाढ़, गर्मी में निस्तारी, पीने का पानी का संकट, सिंचाई के लिए पानी की कमी। इन तीनों चीजों से निजात मिल सकती है, बशर्ते मरोदा डैम की पानी धारण क्षमता को दोगुनी कर दी जाए। इसमें ढाई साल के लिए न केवल पानी रिजर्व रखा जा सकता है, बल्कि पानी के स्रोत को सुरक्षित भी रखा जा सकता है।बीएसपी को तांदुला और खरखरा डैम से हर साल पानी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन्हीं सभी बातों को लेकर छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय और भिलाई स्टील प्लांट के बीच प्राथमिक स्तर की चर्चा हुई है। इसमें डैम की क्षमता दो गुना करने का बात हो रही है।
वर्तमान में मरोदा डैम की पानी धारण क्षमता 16.86 क्यूबिक मीटर है। इससे टाउनशिप, भिलाई स्टील प्लांट, खुर्सीपार, चरोदा और भिलाई रेलवे कॉलोनी,आदि स्थानों पर पानी की आपूर्ति की जाती है। साथ ही डबरा पारा नहर से जामुल, अहेरी, मोहदी, चेटवा, मुरमुंदा सहित दो दर्जन से अधिक गांवों में सिंचाई के पानी मिलेगा। भिलाई स्टील प्लांट को संयंत्र के भीतर काम के लिए हर साल 6.79 क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होती है। साथ ही टाउनशिप के सभी सेक्टरों में 2.26 क्यूबिक मीटर पानी देना होता है। पावर प्लांट में बिजली के उत्पादन के लिए 1.69 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी देना होता है। इसकी आपूर्ति मरोदा डैम से होती है। डैम की क्षमता बढ़ाने से चार फायदे होंगे। पहला दोगुना समय के लिए पानी रखा जा सकेगा। इससे सूखे की स्थिति में पानी की कमी नहीं होगी। दूसरा बाढ़ के पानी को इसमें डालकर बाढ़ को नियंत्रित किया जा सकेगी। तीसरा पानी की दर कम हो जाएगी, इससे पैसे की बचत होगी। दो बार फसल लेने के लिए पानी दिया जा सकेगा।
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