हर गाँव या छोटे-छोटे कस्बों में कई नालियॉ होती है जिसके सहारे गाँव या नगर की गंदगी और गंदा जल बहकर जाता है। जो किसी एक स्थान पर जाकर एक मुख्य नाली में बदल जाती है। ऐसे स्थान पर मनरेगा के तहत् जल स्थरीकरण के प्लांट विकसित किये जा रहे है। इन प्लांटस में सारा गंदा पानी और गंदगी एकत्रित होती है। क्योंकि जल एक स्थान पर एकत्रित होता है इसलिए जल के साथ बहकर आई गंदगी जमीन की सतह में बैठ जाती है। इसमें तीन टैंक होते है। एक टैंक में पानी भरने के बाद दूसरे और फिर तीसरे टैंक में पानी अपनी गंदगी छोड़ कर या यू कहें कि शुद्व होकर आगे निकल जाता है। इसका लाभ यह है कि नदी में मिलने वाला जल शुद्व होता है। जिले में ऐसे 106 डब्ल्यूएसपी स्वीकृत हुए है। जिसमें 2 पूर्ण हुए है। जबकि 71 प्रगतिरत है।
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