जैविक खेती अपनाकर आत्मनिर्भर हुए कृषक रूपसिंह राजपूत आत्मा परियोजना से मिली थी जैविक खेती करने की प्रेरणा जैविक खेती अपनाकर प्रति एकड़ लगभग 76 हजार रूपए का मिल रहा है लाभ
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जैविक खेती अपनाकर आत्मनिर्भर हुए कृषक रूपसिंह राजपूत आत्मा परियोजना से मिली थी जैविक खेती करने की प्रेरणा जैविक खेती अपनाकर प्रति एकड़ लगभग 76 हजार रूपए का मिल रहा है लाभ


नर्मदापुरम /10,फरवरी,2022/ जिले के ग्राम रोहना के कृषक रूपसिह राजपूत जैविक खेती अपनाकर आज लगभग 76 हजार रूपए प्रति एकड़ का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। कृषक रूपसिंह राजपूत ने बताया कि मेरे पिता का नाम श्रीराम सिंह राजपूत है, हमारे पास पुस्तैनी लगभग 1.615 हेक्टेयर कृषि भूमि है। यह वर्ष 2013 की बात है, मेरा आत्मा परियोजना में पदस्थ मैदानी कर्मचारियों से संपर्क हुआ, उनसे मुझे जैविक खेती करने के लिए मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण प्राप्त हुआ, इससे पहले मैं रसायनिक खेती करता था। उन्होंने बताया कि मैंने वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश जैविक प्रमाणीकरण संस्थान भोपाल से जैविक पंजीयन कराया एवं वर्ष 2015-16 में परम्परागत कृषि विकास योजना अंतर्गत निर्मित क्लस्टर के ग्राम रोहना में क्लस्टर के सदस्य बने एवं क्लस्टर समूह के लीड रिसोर्स पर्सन का दायित्व भी निभाया। उन्होंने बताया कि मैं जैविक खेती के साथ-साथ कृषि वानिकी, पशुपालन का कार्य भी कर रहा हूँ। उन्होंने बताया कि वे पहले जहाँ रासायनिक उर्वरक का उपयोग करते थे वहीं जैविक खेती अपनाने के बाद वे जैविक खाद से जैविक अनाज व सब्जी का उत्पादन कर जैविक उत्पाद का इटारसी में विक्रय करते है। उन्होंने बताया कि सामान्य सब्जी की कीमत की तुलना में जैविक उत्पाद की अधिक कीमत प्राप्त होती है। आज मैं तो जैविक खेती कृषक हूँ ही साथ ही अन्य किसानभाईयों को भी जैविक खेती के लिए अपने अनुभवो को सांझा कर उन्हें प्रोत्साहित करता हूँ। उन्होंने अपना मोबाईल नंबर 9753684430 देते हुए कहा कि इस नंबर पर ऐसे किसान भाई जो जैविक खेती अपनाना चाहते है संपर्क कर सकते हैं।

            श्री राजपूत ने आगे बताया कि वर्ष 2020-21 में उन्होंने 3 एकड़ रकबे में खरीफ धान व रबी में गेहूं फसल लगाई थी जिसमें करीबन एक लाख 5 हजार रूपए की लागत लगी थीजैविक उत्पाद के विक्रय से तकरीबन 3 लाख 40 हजार से अधिक राशि प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि एक एकड़ रकबे में 20 हजार रूपए की लागत लगाने से लगभग 90 हजार रूपए की जैविक सब्जी से आय होती है। इसी तरह 4 एकड़ रकबे में 4 लाख 30 हजार 500 रूपए का जैविक उत्पाद विक्रय कर लगभग 3 लाख 5 हजार रूपए का शुद्ध लाभ प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि कुल मिलाकर जैविक खेती अपनाकर प्रति एकड़ सालाना लगभग 76 हजार रूपए का लाभ प्राप्त हो रहा है।

            श्री राजपूत ने बताया कि उनके जैविक खेती अपनाने व पश्चात अथक परिश्रम व अच्छे कार्य के परिणाम स्वरूप उन्हें विभिन्न स्तरो पर शासन एवं संस्थाओं द्वारा भी प्रोत्साहित/सम्मान मिला है। वर्ष 2010-11 में आत्मा अंतर्गत राज्य स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार जिसमें 50 हजार रूपए प्राप्त हुएवर्ष 2012-13 में वाईब्रोंट गुजरात उत्सव में श्रेष्ठ कृषक पुरस्कार 51 हजार रूपएवर्ष 2013 में मध्यप्रदेश जैव विविधता संरक्षण संस्था द्वारा भी सम्मान मिला है। इसी तरह से वर्ष 2018-19 में मुख्यमंत्री कृषक विदेश भ्रमण योजना अंतर्गत विदेश में चल रही कृषि तकनीको को सीखने के लिए उन्हें आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलेंड की यात्रा का भी अवसर मिला है।

            श्री राजपूत ने जिले के किसानो से कहा है कि वे भी जैविक खेती अपनाए और उनकी तरह जैविक उत्पाद का विक्रय कर अधिक मुनाफा प्राप्त करें। उन्होंने किसान भाईयो से कहा है कि वे जैविक खेती के लिए आत्मा परियोजना के मैदानी अमले से संपर्क करे और उनसे भी संपर्क कर सकते हैं।  अंत में श्री राजपूत ने प्रदेश सरकार को अपना धन्यवाद ज्ञापित किया कि आज वे इस स्तर पर प्रदेश सरकार की विभिन्न किसान हितैषी योजनाओं का लाभ लेकर पहुँचे हैं।





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