जयपुर । राजस्थान पर्यटन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष राजीव अरोड़ा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पर्यटन उद्योग से जुड़े मुद्दों को लेकर पत्र लिखकर मांग की है कि पर्यटन उद्योग गत 2 वर्षों से कोरोना कि मार झेल रहा है, पर्यटन उद्योग राजस्थान के आर्थिक विकास कि धुरी है अत: इसको पुन: पटरी पर लाने कि आवश्यकता है। वर्तमान में पर्यटन उद्योग बुरे हालातों से गुजर रहा है। राजस्थान सरकार का आगामी बजट शीर्घ ही प्रस्तावित है। जिसको लेकर अरोड़ा ने आगामी बजट पर्यटन उद्योग से जुड़े कुछ सुझाव दिये उन्होंने मांग करी निम्न बिन्दुओं पर बजट बनाते समय विचार करने की आवश्यकता है। 1. फायर सेस हेतु देव शुल्क की दरों को कम किया जाये। कोविड 19 के मटेनजर निमार्णाधीन पर्यटन इकाई हेतु भू-संपरिवर्तन आदेश भू-आवंटन आदेश में पर्यटक इकाई के निर्माण को पूर्ण किये जाने हेतु निर्धारित समयावधि नि:शुल्क 2 वर्ष बहाई जाया आरटीयूपी 2015 मास्टर में पर्यटन इकाई की परिभाषा में कुछ असमानताएं है, अत: आरटीयूपी 2015 को अपडेट / संशोधित करते हुवे पर्यटन इकाई की परिभाषाओं में एकरूपता स्थापित की जाये। उन्होने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रो में स्थित हैरीटेज सम्पतियों / पर्यटन ईकाइयों हेतु वर्ष 2014-15 से 300 वर्गमीटर से अधिक के भूखंडों के लिये पट्टा जारी किये जाने की दरें काफी अधिक है, उक्त दरों को पुन: संशोधित कर कम किया जाये। राज्य में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन इकाई की स्थापना के लिये भू-संपरिवर्तन की अनिवार्यता को समाप्त किया जाये।इन ईकाइयों हेतु नरेगा के तहत पहुंच मागों का निर्माण कराया जाये। कोविड -19 महामारी को रोकने हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार के स्तर से टीकाकरण का कार्यप्रभावी ढंग से चल रहा है। अत: विभाग को इस महामारी के पक्षात् पर्यटकों को आकर्षित किये जाने हेतु राज्य के पर्यटन उत्पादों की प्रभावी मार्केटिंग के लिये कार्य शीघ्र प्रारम्भ किया जाना चाहिए।