लखनऊ । उत्तरप्रदेश चुनाव के लिए बिगुल बजने के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पूरा दमखम लगा रही है। राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ-साथ प्रदेश का नेतृत्व भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश का लगातार दौरा कर रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले शाह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत झोंक दी है। अमित शाह ने कैराना से लेकर मथुरा तक में डोर टू डोर कैंपेन करके वोटर्स को एक अलग संदेश देने की कोशिश की है। इतना ही नहीं, शाह अपनी रणनीति की वजह से जाटों को भी भाजपा के पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल में ही दिल्ली में 253 जाट नेताओं और खाप पंचायतों प्रमुखों से शाह ने मुलाकात की थी। साथ ही साथ पार्टी की ओर से जयंत चौधरी को भी न्यौता दिया गया था। बता दें कि जयंत चौधरी फिलहाल अखिलेश यादव के साथ गठबंधन में है।
जानकारों के अनुसार खुले मंच से भाजपा का जयंत चौधरी न्यौता देना कहीं ना कहीं जाट वोटर्स में कंफ्यूजन पैदा करने की एक कोशिश है।शाह के संदेश से जाटों में यह बात जरूर जाएगी कि भाजपा जयंत चौधरी के चौधराहट को स्वीकार करने के लिए तैयार है।किसान आंदोलन की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आई नाराजगी को कम करने के लिए अमित शाह सहित भाजपा के कई बड़े नेता पूरा दमखम लगा रहे हैं। अमित शाह हाल में ही मथुरा गए थे वहां भी जाट बिरादरी के ज्यादा लोग हैं। जाटों की आबादी को देखते हुए ही जयंत चौधरी ने वहां से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। अपने संदेश में हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता दिखाकर अमित शाह कैराना पलायन का मुद्दा भी उठा रहे हैं और मथुरा के विकास की भी बात कर रहे हैं।


शाह ने कहीं ना कहीं राष्ट्रवाद का मुद्दा भी यूपी चुनाव में बढ़-चढ़कर उठाकर यह तक कह दिया कि विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री को ना देखें बल्कि राष्ट्र को चुनना है और इसीलिए भाजपा को वोट करें। भाजपा की ओर से मुजफ्फरनगर दंगा का मामला भी उठाया जा रहा है।