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बेमौसम हुई तेज बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। जगह-जगह ओलावृष्टि के कारण उद्यानिकी फसल को जबरदस्त नुकसान हुआ है। तिवड़ा, अरहर, सरसों, मटर समेत सब्जी की बाड़ियों में अभी पानी भरा हुआ है। किसानों का कहना है कि इस बेमौसम बारिश से हजारों रुपये का नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राजधानी के आसपास बड़ी संख्या में किसान सब्जी का उत्पादन करते हैं। ऐसे में सब्जी के सीजन में बारिश होने से ज्यादा नुकसान हुआ है। रायपुर जिले में लगभग 3,000 हेक्टेयर पर उद्यानिकी फसल ली जाती है। पहली बार शासन की ओर इस उद्यानिकी फसल का बीमा कराया गया है। जानकारी के अनुसार इस साल जिले में लगभग 1,000 हेक्टेयर पर बीमा हुआ है।
इस बारिश के कारण सबसे ज्यादा केले पौधे गिर गए हैं। वहीं पपीते भी झुक गए हैं। इसके अलावा टमाटर, भाजी, भिंडी, करेला समेत सभी तरह के सब्जियों को काफी नुकसान हुआ है। भाठागांव के सब्जी उत्पादक किसान रमेश सोनकर ने बताया कि पिछले साल भी बारिश से नुकसान हुआ था। इस साल भी मेहनत पर ऐन वक्त पर पानी फिर गया है। तेज बारिश के वजह से किसानों के कोठार में रखे धान भीग गए हंै। इसके अलावा धान चालू खरीफ फसल धान की समर्थन मूल्य में खरीदी की जा रही है, जहां तेज बारिश की वजह से सोसायटियों में रखा धान भीग गया। इधर भीगे हुए धान को सूखने के लिए अभी तेज धूप की जरूरत है। वहीं सूर्य देव की लुका-छिपी से किसानों की चिंता और बढ़ गई है। कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी धान की फसल को सूखने के लिए तेज धूप की जरूरत है। यदि एक-दो दिन और मौसम नहीं खुला तो धान सड़ जाएग खाद्य नियंत्रक तरुण राठौर ने बताया कि सोसायटियों में जहां-जहां धान भीगा है, वहां तिरपाल के सहारे सूखने की व्यवस्था कर दी है। अभी फिलहाल सोसायटियों का निरीक्षण करके नुकसान का आकलन किया जा रहा है। जहां व्यवस्था बिगड़ी, उस सोसायटियों में तिरपाल, पानी निकासी आदि की व्यवस्था की जा रही है। बारिश के कारण रबी फसल की बुआई पिछड़ सकती है, क्योंकि कई जगहों में रबी फसल धान की बुआई के लिए थरहा लगाए है। वहां बारिश के कारण बुआई प्रभावित हो गई है। दूसरी ओर यह बारिश गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद है।
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